अपेक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में नवजात पुनर्जीवन पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न

रायगढ़ टॉप न्यूज 02 जून। एपेक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर, रायगढ़ में इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) के तत्वावधान में नवजात पुनर्जीवन कार्यक्रम (Newborn Resuscitation Program – NRP) का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण सत्र का उद्देश्य स्वास्थ्य कर्मियों को नवजात जीवनरक्षण के लिए आवश्यक प्राथमिक कौशल एवं वैज्ञानिक तकनीकों से प्रशिक्षित करना था। ताकि नवजात शिशुओं को जीवन संकट की स्थिति में तत्काल चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराया जा सके।
कार्यक्रम का आयोजन डॉ. मनोज गोयल, डॉ. रश्मि गोयल संचालक एवं संस्थापक (एपैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल एंड आई व्ही एफ सेंटर) एवं डॉ चंद्रशेखर सिदार (बाल्य एवं शिशुरोग विभाग के विभागाध्यक्ष और सलाहकार) के द्वारा किया गया ।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. मनोज गोयल, डॉ. रश्मि गोयल एवं अतिथि प्रशिक्षकों द्वारा पारंपरिक सरस्वती पूजन से किया गया। इस कार्यक्रम की पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. माला चौधरी (परामर्शदाता, बाल्य चिकित्सा एवं नवजात विज्ञान, जेएलएनएचआरसी, भिलाई) रहीं, जिन्होंने पूरे प्रशिक्षण का संचालन करते हुए प्रतिभागियों को व्यापक मार्गदर्शन प्रदान किया।
विशेषज्ञ प्रशिक्षकों के रूप में: डॉ. अमर सिंह ठाकुर (बाल्य चिकित्सा एवं नवजात विज्ञान विभाग, बिलासपुर) डॉ. संतोष मोटवानी (बाल्य एवं नवजात विज्ञान विभाग, स्टार चिल्ड्रन हॉस्पिटल, बिलासपुर) ने प्रशिक्षण सत्र में भाग लेकर महत्वपूर्ण व्यावहारिक जानकारी और तकनीकी अनुभव साझा किया।
प्रशिक्षण का मुख्य विषय था: “FIRST GOLDEN MINUTE PROJECT” (पहला गोल्डन मिनट परियोजना), जो जन्म के तुरंत बाद शिशु के जीवन को बचाने के लिए पहले एक मिनट में की जाने वाली चिकित्सकीय क्रियाओं की महत्ता को रेखांकित करता है। प्रशिक्षण के दौरान चिकित्सकों को नवजात शिशुओं के जन्म के तुरंत बाद की स्थिति का आकलन करने, उनकी श्वास, हृदय गति तथा प्रतिक्रिया पर ध्यान देते हुए प्राथमिक उपचार एवं जीवन रक्षक प्रक्रियाओं की व्यावहारिक जानकारी दी गई।
विशेषज्ञों ने बताया कि नवजात शिशुओं के लिए जन्म के पहले एक मिनट को ‘गोल्डन मिनट’ कहा जाता है, जिसमें उचित हस्तक्षेप से नवजात की जान बचाई जा सकती है। इस तरह के कार्यक्रमों के माध्यम से चिकित्सकीय स्टाफ को जीवन रक्षक तकनीकों में दक्ष बनाकर शिशु मृत्यु दर में कमी लाने की दिशा में प्रभावी कदम उठाया जा रहा है।
कार्यक्रम में स्वास्थ्य संस्थानों के डॉक्टरों, नर्सों एवं स्वास्थ्यकर्मियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रतिभागियों को नवजात पुनर्जीवन से संबंधित नवीनतम दिशानिर्देशों, तकनीकों और व्यावहारिक परिदृश्यों का गहन प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
यह प्रशिक्षण सत्र क्षेत्र में नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने की दिशा में एक सराहनीय एवं सशक्त पहल है। आयोजन के अंत में सहयोग देने वाले सभी विशेषज्ञों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया गया।