छत्तीसगढ़

CG News: इंद्रावती टाइगर रिजर्व में जाल में फंसा मिला घायल बाघ, शिकार के लिए लगाया गया था तार, गंभीर अवस्था में किया गया रेस्क्यू

बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर के इंद्रावती टाइगर रिजर्व के बफर जोन में एक 5-6 वर्षीय बाघ को गंभीर रूप से घायल अवस्था में रेस्क्यू किया गया है। शिकारियों द्वारा लगाए गए तार के फंदे में फंसने से बाघ के दोनों पिछले पैर बुरी तरह से जख्मी हो गए थे। जिसके घावों में सड़न और कीड़े पड़ गए है। इस घटना ने क्षेत्र में सक्रिय महाराष्ट्र के शिकारी गिरोह और स्थानीय सहयोगियों की गतिविधियों को उजागर किया है। लगभग 5 दिन पहले, कांदुलनार गांव के सर्वे कुन्ना नामक व्यक्ति की बाघ के हमले में मृत्यु हो गई थी। वह और 10-12 अन्य ग्रामीण बाघ की स्थिति की रेकी करने गए थे, तभी बाघ ने उन पर हमला कर दिया। सर्वे कुन्ना की मौके पर ही मृत्यु हो गई थी। वन विभाग ने शुरू में इसे महुआ बीनने के दौरान हुआ हमला बताया था, जो बाद में गलत साबित हुआ।

मिली जानकारी अनुसार यह घटना बीजापुर बफर रेंज के कांदुलनार, मोरमेड़, और तोयनार गांवों के बीच घने जंगल में हुई थी, जो बीजापुर मुख्यालय से 25-30 किलोमीटर दूर है। वन विभाग की टीम ने बीती रात (16-17 अप्रैल) बाघ को ट्रैंकुलाइज कर तार का फंदा हटाया और प्राथमिक उपचार के बाद उसे जंगल सफारी क्षेत्र में इलाज के लिए भेजा। रेस्क्यू ऑपरेशन के वीडियो और फोटो सामने आए हैं, जिसमें वन कर्मी तार काटते और पिंजरे में बन्द कर बाघ को जंगल सफारी भेजते नजर आ रहे हैं।

शिकारी गिरोह बाघ की खाल और अंगों के शिकार के लिए थे सक्रिय
ऐसा बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र के गढ़चिरौली क्षेत्र से आए शिकारी गिरोह पिछले डेढ़ महीने से बाघ की खाल और अंगों के शिकार के लिए सक्रिय थे। कांदुलनार के 10-12 ग्रामीण, जिनमें सर्वे कुन्ना भी शामिल था। वह इस गिरोह के साथ मिलकर काम कर रहा था। शिकारियों ने तार के फंदे लगाए, जो बाघ के लिए घातक साबित हुआ। घायल बाघ कई दिनों तक जंगल में शिकार की तलाश में घूमता रहा। बड़ी बात तो यही है कि शेर का घाव देखने से साफ पता चल रहा है कि यह काफी पुराना है करीब दो से तीन सप्ताह पुराना।

बाघ का शिकार करने के लिए लगाया गया था तार
शिकारियों ने बाघ का शिकार करने के लिए पहले तार लगाए। इसके बाद वे सर्चिंग करने के लिए निकले तो उन्हें यह घायल शेर दिखाई दिया। शेर को बुरी तरह से घायल पाते शिकारी जब नजदीक पहुंचा तो शेर ने हमला कर दिया। जिससे एक की मौत हो गई। जबकि प्रारंभिक रिपोर्ट में यह बताया गया था कि शेर के हमले से एक ग्रामीण की मौत तब हो गई जब वह महुआ बीनने के लिए ​पहुंचा था। घने जंगलों में जिस जगह से शेर का रेस्क्यू किया गया है उस लोकोशन पर यदि मोबाइल डिवाइस ट्रेक किया जाता है तो यह साफ हो सकता है कि ग्रामीण की मौत वाले दिन वहां केवल मृतक ही नहीं ​था बल्कि और भी लोग मौजूद थे।

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