नई दिल्ली. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने उन्हें अंतरिम राहत देते हुए फिलहाल गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि पवन खेड़ा ती ओर से नियमित जमानत के लिए आवेदन किए जाने तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक रहेगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि तीनों एफआईआर एक ही जगह क्लब कर दी जाएं। अदालत ने कहा कि अलग-अलग जगहों पर मामले की सुनवाई करने की जरूरत नहीं है।
कांग्रेस बोली- जुबान फिसल गई थी, माफी तक मांग ली थी
शीर्ष अदालत में बहस के दौरान कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पवन खेड़ा को राहत मिलनी चाहिए। उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगानी चाहिए। उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को एक ही जगह पर ट्रांसफर करना चाहिए। उन्होंने पवन खेड़ा ने तो इस मामले में पहले ही माफी मांग ली है और कहा है कि उनकी जुबान फिसल गई थी। वहीं असम पुलिस के वकील ने कहा कि खेड़ा को अरेस्ट करके अदालत में पेश किया जाएगा। यहां पर ट्रांजिट रिमांड मांगी जाएगी।
जमकर बरसे अशोक गहलोत- आपातकाल से भी बुरे हुए हालात
इस मामले को लेकर कांग्रेस भड़की हुई है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने लोकतंत्र को हिटलरशाही में बदल दिया है। वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि लोकतंत्र खतरे में है। उन्होंने कहा, ‘क्या पीएम और होम मिनिस्टर को इस मामले की जानकारी नहीं है? भारत के हालात हर दिन बिगड़ रहे हैं। लोकतंत्र खतरे में है और कानून को हवा में उड़ाया जा रहा है। वे आपातकाल के लिए इंदिरा गांधी की आलोचना करते हैं, लेकिन खुद आपातकाल से भी बुरा बर्ताव कर रहे हैं।’
भाजपा बोली- अमर्यादित है बयान, कानून के तहत ऐक्शन
भाजपा नेता गौरव भाटिया ने कहा कि इस मामले में कांग्रेस के आरोप गलत हैं। किसी भी मामले में कानून के तहत ही कार्रवाई होती है। कोई भी देश के कानून से ऊपर नहीं है। पवन खेड़ा ने अमर्यादित बयान दिया था। गौरतलब है कि पवन खेड़ा के खिलाफ वाराणसी, लखनऊ और असम में केस दर्ज कराए गए हैं। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के पिता का नाम लेते हुए आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसी मामले में शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। असम पुलिस का कहना है कि उनका बयान समाज में वैमनस्य और अशांति फैलाने वाला है।