बिलासपुर| एनटीपीसी लारा प्रोजेक्ट से जुड़े बहुचर्चित भू-अर्जन घोटाले मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने तत्कालीन एसडीएम तीर्थराज अग्रवाल को सभी आपराधिक आरोपों से मुक्त कर दिया है। हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज की गई चार्जशीट को भी खारिज कर दिया है।






यह मामला वर्ष 2013-14 का है, जब एनटीपीसी के लारा परियोजना के लिए 160 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया था। इस भू-अर्जन के दौरान मुआवजे के वितरण में भारी गड़बड़ी और बंदरबांट के आरोप लगे थे। इसमें तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) तीर्थराज अग्रवाल पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 समेत अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था।
घोटाले के आरोपों से परेशान होकर तीर्थराज अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर शुक्रवार को न्यायमूर्ति अरविंद वर्मा की एकलपीठ में सुनवाई हुई। अदालत ने सभी तथ्यों और उपलब्ध साक्ष्यों का गहन अवलोकन करने के बाद स्पष्ट रूप से कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोप प्रमाणित नहीं हो सके हैं। कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज चार्जशीट को रद्द करते हुए उन्हें पूरी तरह आरोपमुक्त कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया कोई आपराधिक साजिश या धोखाधड़ी के संकेत नहीं मिलते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि याचिकाकर्ता को बिना ठोस आधार के आरोपित किया गया था। हाईकोर्ट के इस फैसले से न केवल तीर्थराज अग्रवाल को न्याय मिला है, बल्कि यह फैसला प्रशासनिक अधिकारियों के लिए भी एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है कि बिना ठोस सबूतों के किसी को दोषी ठहराना उचित नहीं।
यह फैसला एनटीपीसी लारा परियोजना से जुड़े उस लंबे विवाद को भी शांत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिसने वर्षों तक चर्चा और जांच का विषय बना रहा।
