रायपुर ACB कोर्ट ने कोल स्कैम मामले में सौम्या चौरसिया की ज़मानत याचिका खारिज की

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रायपुर । एसीबी की विशेष अदालत ने कोल स्कैम मामले में पेश सौम्या चौरसिया की ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दी है। सौम्या चौरसिया की ओर से यह ज़मानत याचिका एसीबी/ईओडब्लू द्वारा दर्ज एफ़आइआर के परिप्रेक्ष्य में लगाई गई थी। सौम्या चौरसिया कोल स्कैम मामले में ईडी के द्वारा गिरफ़्तार की गईं थीं। जनवरी 2024 में इसी कोल स्कैम मामले में ईओडब्लू ने भी एफ़आइआर दर्ज कर सौम्या चौरसिया को गिरफ़्तार किया है।सौम्या चौरसिया दिसंबर 2022 से लगातार केंद्रीय जेल में निरुद्ध हैं।

इस आधार पर माँगी गई ज़मानत
विशेष अदालत में सौम्या चौरसिया की ओर से अधिवक्ता फैज़ल रिजवी और हर्षवर्धन परघनिया ने तर्क प्रस्तुत किए। बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने अदालत से कहा-“ ईडी के प्रकरण में प्रेडिकेट अफेंस नहीं होने की कमी को दूर करने के लिए ईओडब्लू की एफ़आइआर दर्ज की गई जिसमें धारा 384 जोड़ी गई है। ईडी के विवेचक ही ईओडब्लू के मामले में प्रार्थी हैं।धारा 384 का अर्थ है जबकि किसी भी व्यक्ति को भय में डालकर संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की वसूली माँग उद्दीपन किया जाए लेकिन ऐसा कोई तथ्य एफ़आइआर में उल्लेखित ही नहीं है। ईओडब्लू की एफ़आइआर में आवेदिका के विरुध्द धारा 7,7(ए),12 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और धारा 420,120बी और 384 का उल्लेख है।लेकिन ना केवल 384 बल्कि एफ़आइआर में उल्लेखित किसी भी अन्य धारा के अंतर्गत अपराध कारित किए जाने के आवश्यक तत्व एफ़आइआर में कहीं भी विद्यमान नहीं है।केवल संभावनाओं के आधार पर या अन्य व्यक्तियों/आरोपियों द्वारा नाम बताए जाने पर उसे आरोपी बनाया गया है।











बीमार बच्ची का हवाला दिया गया
ज़मानत आवेदन में और बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने तर्क में यह उल्लेख किया कि, सौम्या चौरसिया की चार वर्षीया पुत्री की तबियत देखभाल के अभाव में ख़राब है। कोर्ट में उक्त तर्क के समर्थन में मेडिकल अभिलेख भी पेश किए गए।

ईओडब्लू ने विरोध में दिए तर्क
ईओडब्लू की ओर से उप संचालक अभियोजन मिथलेश वर्मा, तथा राज्य के उप महाधिवक्ता और ईओडब्लू की ओर से विशेष लोक अभियोजक डॉ सौरभ कुमार पांडेय और राजकिशोर सोनकर ने ज़मानत याचिका के विरोध में तर्क दिए।ईओडब्लू की ओर से ज़मानत याचिका का विरोध पत्र भी प्रस्तुत किया गया। ज़मानत याचिका के विरोध में अधिवक्ताओं ने तर्क में कहा -“अपराध राज्य की अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है।उक्त अपराध भ्रष्टाचार का संगठित अपराध है।इस संगठित अपराध ने राज्य के कोल व्यवसाय को प्रभावित करते हुए 540 करोड़ रुपये का आर्थिक लाभ प्राप्त किया है।” राज्य सरकार के अधिवक्ताओं ने इसके बाद कहा -“अपराध राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर राजनीतिक व्यक्तियों के संरक्षण में अपराधिक षड्यन्त्र कर के 25 रुपये प्रति टन अवैध कोल लेव्ही की वसूली की गई।यदि आरोपिया को ज़मानत मिली तो प्रकरण की निष्पक्ष और पारदर्शी विवेचना संभव नहीं है।”

कोर्ट ने दिया फ़ैसला
रायपुर विशेष अदालत ( एसीबी/इओडब्लू ) की जज निधि शर्मा तिवारी ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद सौम्या चौरसिया की ज़मानत याचिका आवेदन को ख़ारिज कर दिया है। अदालत ने ज़मानत याचिका आवेदन को ख़ारिज करते हुए आदेश में लिखा है -“केस डायरी में उल्लेखित सामग्री से आरोपित अपराध में अभियुक्ता/ आवेदिका की प्रथम दृष्टया संलिप्तता होना दर्शित है।ज़मानत दिए जाने पर अन्वेषण को प्रभावित करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।















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