जग्गी हत्याकांड…मेयर ढेबर के भाई सहित 5 को राहत…शूटर सहित 2 ने कोर्ट में किया सरेंडर…छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 27 को सुनाई है उम्रकैद

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रायपुर। NCP नेता रामावतार जग्गी मर्डर केस के 2 दोषियों ने सोमवार को रायपुर में विशेष न्यायाधीश पंकज कुमार सिन्हा की कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। इनमें शूटर चिमन सिंह और विनोद राठौड़ शामिल हैं। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 4 अप्रैल को 27 दोषियों की अपील खारिज कर दी थी। हालांकि इनमें से 5 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है।

 











सर्वोच्च न्यायालय ने इन दोषियों को सरेंडर के लिए 3 सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया है। इनमें क्राइम ब्रांच के प्रभारी रहे आरसी त्रिवेदी, तत्कालीन मौदहापारा थाना प्रभारी वीके पांडे, CSP कोतवाली अमरीक सिंह गिल, सूर्यकांत तिवारी सहित मेयर एजाज ढेबर के भाई याहया ढेबर शामिल है।

इससे पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद वर्मा की डिवीजन बेंच ने लोअर कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी। 28 में से एक दोषी विक्रम शर्मा उर्फ बुलटू पाठक की मौत हो चुकी है।

इन दोषियों की अपील पर कोर्ट ने सुनाया था फैसला

जग्गी हत्याकांड में दोषी अभय गोयल, याहया ढेबर, वीके पांडे, फिरोज सिद्दीकी, राकेश चंद्र त्रिवेदी, अवनीश सिंह लल्लन, सूर्यकांत तिवारी, अमरीक सिंह गिल, चिमन सिंह, सुनील गुप्ता, राजू भदौरिया, अनिल पचौरी, रविंद्र सिंह, रवि सिंह, लल्ला भदौरिया, धर्मेंद्र, सत्येंद्र सिंह, शिवेंद्र सिंह परिहार, विनोद सिंह राठौर, संजय सिंह कुशवाहा, राकेश कुमार शर्मा, (मृत) विक्रम शर्मा, जबवंत, विश्वनाथ राजभर की ओर से अपील दायर की गई थी।

जग्गी के बेटे बोले- मोहलत मिल सकती है, राहत नहीं

वहीं रायपुर कोर्ट पहुंचे रामवतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने कहा कि 10 और 11 तारीख के बीच में सभी दोषियों को सरेंडर करना था। मुझे आज खबर मिली की 15 तारीख को 11 बजे सभी सरेंडर करेंगे। मैं अपने वकीलों के साथ यहां पहुंचा हूं। कोर्ट का 5:00 बजे तक का समय है। अगर सब नहीं आते तो कोर्ट क्या निर्णय लेगा या देखने वाली बात होगी।

सुप्रीम कोर्ट से 5 दोषियों को राहत मिलने पर कहा कि उन्होंने अभी ऑर्डर नहीं पढ़ा है। हालांकि इस केस में किसी को राहत मिले, मैं यह नहीं मानता, मोहलत मिल सकती है। कुछ दिनों के लिए, कुछ कारणों से, लेकिन राहत किसी को इस केस में नहीं मिल सकती मुझे पूरा विश्वास है।

अमित जोगी पर भी चलेगा मामला

सतीश जग्गी ने कहा कि, अमित जोगी को स्टे नहीं मिला है, स्टे मैंने लिया है। मैं सुप्रीम कोर्ट के शरण में जल्द से जल्द जाऊंगा। जैसे सारे अभियुक्तों पर प्रकरण चलाए गए, वैसे ही अमित जोगी पर भी प्रकरण चलेगा। मुझे विश्वास है कि जल्द से जल्द न्याय मिलेगा।

कौन थे रामावतार जग्गी?

कारोबारी बैकग्राउंड वाले रामावतार जग्गी देश के बड़े नेताओं में शुमार पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के बेहद करीबी थे। विद्याचरण शुक्ल जब कांग्रेस छोड़कर NCP में शामिल हुए, तो जग्गी भी उनके साथ-साथ गए। विद्याचरण ने जग्गी को छत्तीसगढ़ में NCP का कोषाध्यक्ष बना दिया।

जग्गी के हत्या से पहले प्रदेश के सियासी हालात

छत्तीसगढ़ अलग प्रदेश बना, तब विधानसभा में कांग्रेस बहुमत में थी। कांग्रेस की ओर से सीएम पद की रेस में विद्याचरण शुक्ल का नाम सबसे आगे चल रहा था, लेकिन आलाकमान ने अचानक अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बना दिया। इस वजह से पहले से नाराज चल रहे विद्याचरण शुक्ल पार्टी में अपनी अनदेखी से और ज्यादा नाराज हो गए।

नवंबर 2003 में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही उन्होंने कांग्रेस छोड़कर NCP जॉइन कर ली। NCP के बढ़ते दायरे से कांग्रेस को सत्ता से बाहर होने का डर सताने लगा था।

21 साल पहले गोली मारकर हुई थी हत्या

4 जून 2003 को एनसीपी नेता रामावतार जग्गी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 31 अभियुक्त बनाए गए थे। जिनमें से दो बुलटू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बन गए थे। पूर्व सीएम अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी को छोड़कर बाकी 28 को सजा मिली थी। बाद में अमित जोगी बरी हो गए थे। इसके खिलाफ रामवतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इस पर अमित जोगी के पक्ष में स्टे है।

इधर, हाईकोर्ट में अपील पर रामावतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी के अमित जोगी की दोषमुक्ति के खिलाफ पेश क्रिमिनल अपील पर उनके अधिवक्ता बीपी शर्मा ने तर्क दिया और बताया कि हत्याकांड की साजिश तत्कालीन राज्य सरकार की ओर से प्रायोजित थी।

जब CBI की जांच शुरू हुई, तब सरकार के प्रभाव में सारे सबूतों को मिटा दिया गया था। ऐसे केस में सबूत अहम नहीं हैं, बल्कि षड्यंत्र का पर्दाफाश जरूरी है। लिहाजा, इस केस के आरोपियों को सबूतों के अभाव में दोषमुक्त नहीं किया जा सकता।















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