CG News: इंद्रावती टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या हुई 10

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जगदलपुर। बस्तर के धुर नक्सली इलाका माना जाने वाले इंद्रावती टाइगर रिजर्व पार्क में पिछले महीने बाघों की गणना पर आई टीम लौट गई। टाइगर रिजर्व से मिली जानकारी के मुताबिक बाघों की गणना के लिए वाइल्ड लाइफ देहरादून के विशेषज्ञों की टीम पहुंची थी, जिन्होंने वन विभाग के लगभग 80 अधिकारी कर्मचारी की टीम के साथ रिजर्व क्षेत्र के कोर जोन व बफर जोन में जाकर बाघों की जानकारी एकत्रित की।

 











इस दौरान टीम द्वारा वन्य जीवों की गणना और सुरक्षा के लिए आवश्यक टिप्स भी दिए। जानकारी के मुताबिक इन्द्रावती टाइगर रिजर्व  में बाघ की गणना के लिये रिजर्व क्षेत्र के लगभग 25 गांवों के 50 स्थानीय ग्रामीणों को भी तैयार किया गया था। पार्क प्रबंधन के अनुसार यह गणना फरवरी से शुरू होकर अप्रेल के अंतिम सप्ताह तक चली। वर्तमान में इस राष्ट्रीय उद्यान में 8 से 10 बाघ होने की पुष्टि हुई है।

 मल व पंजों से होगी पहचान
बाघों की गणना के लिये रिजर्व क्षेत्र के जंगल से बाघों के मल इकट्ठा कर जांच के लिए भेजा गया है। इसके लिए टीम ग्रामीणों के साथ मिलकर जंगल के कई इलाकों में पैदल चलकर बाघों के रहवास जहां अक्सर बाघों की दहाड़ के इलाके में जाकर उनके मल और पंजों के निशान (Tiger Reserve) की पहचान की। इस दौरान पेड़ों में बाघों के पंजे के निशान भी ढूंढे गए जिससे इनके गणना में मदद मिलने की संभावना जताई गई है।

टाइगर रिजर्व, डीएफओ इंद्रावती संदीप बल्गा है कि इन्द्रावती टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना (Tiger Reserve) का प्रथम चरण सफलता पूर्वक पूरा हो गया है। इसके लिए वाइल्ड लाइफ देहरादून के विशेषज्ञों सिहत कई स्थानों से विशेषज्ञों की टीम पहुंची थी। गणना का रिपोर्ट बहुत जल्द ही आने वाली है।

 वर्तमान में 8-10 बाघों की पुष्टि
यहां के कुटरू, भोपालपट्टनम, और मद्देड के कोर व बफर एरिया में टीम पैदल पहुंच कर बाघ की गतिविधियों की पहचान की गई। टीम द्वारा इन्द्रावती टाइगर रिजर्व  में फिलहाल 8 से 10 बाघों के होने की पुष्टि की है। बीजापुर के जंगल में बीते दिनों एक मादा बाघ के देखे जाने की पुष्टि हुई थी जिसके साथ एक शावक भी मौजूद था। इसके अलावा यहां पर तेलंगाना और आंध्रप्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में भी बाघ के होने की पुष्टि हुई है।

एक जानकारी के मुताबिक विगत तीन वर्षों में बाघों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 184 करोड़ रूपये खर्च की गई। इस आधार पर सरकार टाइगर प्रोजेक्ट में औसतन 5 करोड़ रूपये से अधिक राशि मासिक खर्च कर रही है।







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