रायपुर. छत्तीसगढ़ में हुए नान घोटाला मामले की सीबीआई ने नए सिरे से मामला दर्ज कर केस की फिर से जांच शुरू कर दी है. CBI ने जेल में बंद रिटायर्ड आईएएस अनिल टूटेजा, आलोक शुक्ला और पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ कई धाराओं में केस दर्ज किया है. मालूम हो कि 2015 में हुए नान घोटाला में गवाहों को प्रभावित करने और आपराधिक षड़यंत्र रचने के आरोप में करीब 5 महीने पहले नवंबर में EOW ने आलोक शुक्ला, अनिल टूटेजा और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
आरोप है कि आलोक शुक्ला, अनिल टूटेजा और सतीश वर्मा ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए गवानों को प्रभावित करने की कोशिश की थी. इस केस में 2019 में ईडी ने भी केस दर्ज किया था.





CBI ने दी थी दबिश
CBI ने 2015 में हुए नान घोटाले केस में वाट्सएप चैट की जांच के लिए एफआईआर दर्ज किया है. यह कार्रवाई एससीबी की एफआईआर के आधार पर की गई है. इसकी जांच करने के लिए CBI ने पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा के सिविल लाइन स्थित ठिकाने में दबिश दी थी. बताया जाता है कि तलाशी के दौरान इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस और दस्तावेजों को जब्त किया गया है.
क्या है छत्तीसगढ़ नान घोटाला?
छत्तीसगढ़ का कथित नान घोटाला 2015 में उजागर हुआ था. इस मामले में एसीबी/ईओडब्ल्यू ने नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के 20 से ज्यादा परिसरों पर एक साथ छापे मारे थे, जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रभावी संचालन को सुनिश्चित करने के लिए नोडल एजेंसी थी. इस दौरान कुल 3.64 करोड़ रुपये नगद जब्त किए गए थे. छापे के दौरान एकत्र किए गए चावल और नमक के कई नमूनों की गुणवत्ता की जांच की गई. दावा किया गया था कि वे घटिया और मानव उपभोग के लायक नहीं है.
