बिलासपुरः नेशनल लोक अदालत में 03 लाख 94 हजार 573 प्रकरणों का निराकरण कर लगभग 172 करोड़ रूपये का सेटलमेंट अवार्ड पारित किया गया। प्रदेश भर में सिविल कोर्ट में लंबित लगभग 39 हजार प्रकरणों का निराकरण किया गया। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार एवं माननीय मुख्य न्यायाधिपति श्री रमेश सिन्हा, मुख्य न्यायाधीश एवं मुख्य संरक्षक तथा माननीय न्यायाधिपति श्री गौतम भादुड़ी, कार्यपालक अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में आज नेशनल लोक अदालत का आयोजन संपूर्ण छत्तीसगढ़ में किया गया। इसके लिए पूरे प्रदेश भर में लगभग 400 खण्डपीठों का गठन किया गया था। आज की यह लोक अदालत प्रदेश भर के समस्त जिला न्यायालय, तहसील न्यायालय, राजस्व न्यायालय, लेबर कोर्ट, उपभोक्ता फोरम, स्टेट कामर्शियल कोर्ट तथा हाईकोर्ट में आयोजित की गयी थी। माननीय मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति श्री रमेश सिन्हा मुख्य संरक्षक के द्वारा लोक अदालत के सफल आयोजन हेतु प्रदेश भर के समस्त कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक एवं जिला न्यायाधीश को अधिक से अधिक प्रकरणों के निराकरण किये जाने का निर्देश दिया गया था। लोक अदालत का आयोजन भौतिक एवं वर्चुअल मोड दोनों में आयोजित किया गया था। कई प्रकरणों में जो पक्षकार उपस्थित नहीं हो सके उनके द्वारा वर्चुअल मोड में मोबाईल के माध्यम से अपने प्रकरण का निराकरण कराया गया। लोक अदालत में निराकरण हेतु 4,93,000 प्रकरणों को रखा गया था जिसमें अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार लगभग तीन लाख 93 हजार से ज्यादा प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है। सर्वाधिक प्रकरण रायपुर जिले के एक लाख सैतालीस हजार तथा राजनांदगांव जिले के 52 हजार प्रकरणों का निराकरण हुआ। जबकि दुर्ग जिले में 48 हजार प्रकरणों का निराकरण किया गया।
आज इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष महोदय द्वारा जिला न्यायालय दुर्ग के नेशनल लोक अदालत का निरीक्षण किया गया। इस अवसर पर उन्होंने पक्षकारों, अधिक्ताओं और न्यायाधीशों से चर्चा की। वर्चुअल मोड से हो रहे राजीनामा का भी अवलोकन किया गया। उन्होंने पक्षकारों को आपसी राजीनामे के साथ प्रकरण के निराकृत कराने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि लोक अदालत में निराकृत प्रकरणों से दोनों पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण स्थापित होता है और किसी भी पक्ष की हार नहीं होती है। उन्होने यह भी बताया कि लोक अदालत में निराकृत प्रकरणों में न्याय शुल्क भी वापस हो जाता है। श्री संतोष ठाकुर, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में वर्चुअल मोड से निराकृत हो रहे प्रकरण में पक्षकारों को समझाईश दी गयी। उक्त प्रकरण आरोपी द्वारा 60 वर्षीय माता के साथ की गयी मारपीट से सबंधित था। आरोपी की माता बिहार में होने के कारण वहां से आने में असमर्थ थी, अतः वीडियो कांफ्रेंसिग के माध्यम से प्रकरण का निराकरण किया गया। इसी प्रकार बैगलोर के बैंक में कार्यरत एक व्यक्ति जिसका प्रकरण दुर्ग न्यायालय में चल रहा था, बैंक से अवकाश नहीं मिलने के कारण उपस्थित नहीं हो पाया, ऐसी स्थिति में वर्चुअल मोड में उसके प्रकरण का निराकरण किया गया। दुर्ग के ही दो भाईयों के बीच पारिवारिक संपत्ति को लेकर मारपीट का प्रकरण भी न्यायालय में लबित था। दोनों पक्षकारों को समझाईश दिये जाने पर दोनों ने समझौता कर साथ रहने की सहमति व्यक्त की।
आज ही धमधा तहसील में सिविल कोर्ट का शुभारंभ माननीय न्यायमूर्ति श्री गौतम भादुड़ी द्वारा किया गया। इस अवसर पर उन्होने कहा कि अब इस क्षेत्र के निवासियों को अपने मामलों में न्याय प्राप्त करने के लिए दुर्ग तक नहीं जाना पडेंगा, उन्हें यहीं पर आसानी से सुलभ एवं सस्ता न्याय प्राप्त हो जायेगा। माननीय न्यायमूर्ति के प्रवास के समय उनके साथ श्री शैलेष तिवारी, प्रभारी जिला न्यायाधीश, दुर्ग तथा श्री आनंद प्रकाश वारियाल, सदस्य सचिव, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण भी उपस्थित थे।
आज उच्च न्यायालय बिलासपुर में कुल 79 प्रकरणों का निराकरण हुआ जिसमें मोटर दुर्घटना के 44 प्रकरणों में एक करोड़ आठ लाख का अवार्ड पारित किया गया। अन्य सिविल प्रकरण 05 तथा 29 सर्विस मेटर के प्रकरण निराकृत हुए। कामर्शियल कोर्ट रायपुर में तीन प्रकरणों में लगभग चार करोड़ की डिक्री पारित की गयी। प्रदेश भर के सभी जिला उपभोक्ता फोरम में भी लोक अदालतों का आयोजन किया गया था जहां कुल 136 प्रकरणों का निराकरण हुआ। प्रदेश भर में मोटर दुर्घटना के कुल 565 प्रकरण निराकृत हुए जिसमे क्षतिपूर्ति के रूप में लगभग 28 करोड़ रू. की राशि स्वीकृत की गयी। कुल 745 वैवाहिक प्रकरण कुटुम्ब न्यायालय में निराकृत हुए और बहुत सारे पक्षकारों ने जो पति पत्नी अलग रह रहे थे उन्होंने साथ रहने में सहमति जतायी और परिवार फिर से बसा लिया। धारा 138 चेक बाउन्स के 2151 प्रकरणों का निराकरण हुआ तथा राजस्व के कुल 2,94,000 प्रकरणों का निराकरण हुआ। लोक अदालत में बाप बेटों के बीच के मामले, भाई भाई के बीच विवाद के मामले, पडोंसियों के मध्य विवादों का निराकरण किया गया। दो समधनों ने भी अपने मारपीट के मामले में समझौता किया। बाप बेटे के मध्य संपत्ति का विवाद भी निराकृत हुआ। मोटर दुर्घटना के प्रकरणों में भी लोगों के मध्य आपसी राजीनामा हुआ। राजनांदगांव में इंडसइंड बैंक के द्वारा 19 लाख रूपये की वसूली के लिए प्रस्तुत दावा प्रकरण में ढाई लाख रू. में समझौता किया गया। प्रकरण 06 वर्षों से न्यायालय में लंबित था।