बिलासपुर। अचानकमार टाइगर रिजर्व में के अंदर बाघ के अलावा और कितने वन्य प्राणी है, इसका आकलन करने के लिए प्रबंधन फोर फेस मानिटरिंग करेगा। इसी माह के अंत तक शुरू होने वाली इस गणना के दौरान पहले सात दिन वन अमला पंजे के निशान, पेड़ों पर खरोंच, मल और कील देखकर वन्य प्राणियों की पहचान करेंगे। सात दिन तक चलने वाली इस विधि के बाद ट्रैप कैमरे की मदद ली जाएगी।
बेहतर गणना के लिए इस बार दो महीने तक कैमरे लगाने का निर्णय प्रबंधन ने लिया है। किसी भी टाइगर रिजर्व के लिए बाघ व अन्य वन्य प्राणियों की गणना बेहद जरूरी होती है। यह प्रविधान है। गणना दो तरीके से होती है। एक वह विधि है, जो चार साल में एक बार होती है। वहीं फोर फेस मानिटरिंग साल में दो बार होती है। दो बार होने वाली यह गणना गर्मी और ठंड के समय की जाती है।
एक हो चुकी है। अब ठंड में होने वाली गणना होनी है। इसको लेकर निर्देश भी जारी हो गया है। फोर फेस मानिटरिंग सात दिन होती है। जिसमें पहले तीन दिन ट्रैल लाइन पर बाघों के पंजों के निशान आदि देखे जाते हैं। इसके बाद ट्रांजिट लाइन में वन अमला चलकर गणना करता है। ट्रांजिट दो किमी का होता है। इसमें वन कर्मी व अधिकारी पैदल चलकर पंजों के निशान, वन्य प्राणियों द्वारा पेड़ों में किए गए खरोंच, मल, अवशेष सभी बारीकी से देखते हैं।
सैंपल भी एकत्र किया जाता है, ताकि उसकी जांच कर वन्य प्राणी की पहचान किया जा सके। इस प्रक्रिया के बाद ट्रैप कैमरे से गणना की जाती है। पहले चिंहित जगहों पर 25-25 दिनों के लिए गणना करते थे। इस बार दो महीने तक कैमरे लगाने की योजना है। इससे गणना और बेहतर ढंग से हो सकेगी। इन कैमरे के सामने जो भी गुजरता है आटोमेटिक उनकी फोटो क्लिक होकर चिप पर सेव हो जाती है।
प्रशिक्षण के बाद कैमरों का वितरण
इस गणना की रिपोर्ट सीधे राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को जाती है। इसलिए लापरवाही न करने के लिए सख्त चेतावनी दी जाती है। इसके अलावा कोई चूक न हो इसलिए वन अमले को एक्सपर्ट प्रशिक्षण भी देते हैं। इस बार यह विधि अपनाई जा रही है। इसके बाद जिन- जिन जगहों पर कैमरे लगने हैं, उस क्षेत्र के वनकर्मियों को कैमरे का वितरण किया जाएगा। हर तीन दिन में कैमरे के चिप को निकालकर फोटो को सेव किया जाता है।