छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन चुनाव को लेकर बनी विवाद की स्थिति

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बिलासपुर सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं सचिव ने कहा- प्रदेश संगठन के पदाधिकारी सविधान की धज्जियां उडा रहे हैं,सदस्यों को कर रहे हैं गुमराह रोज बयान बाजी जारी कर रहे
चुनाव अधिकारियों को भी नहीं है इसकी जानकारी, प्रदेश के सभी जिलों के सराफा एसोसिएशन के सदस्यों में आक्रोश

बिलासपुर । छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन के चुनाव को लेकर विवाद की स्थिति बन गई है । जहां एक और छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल बरडिया ने 24 दिसंबर को एक पत्र जारी किया था जिसमें छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन के द्वारा 7 जनवरी को आयोजित सम्मेलन को लेकर कहा था कि सराफा व्यापारियों के इस सम्मेलन में आय व्यय का ब्यौरा प्रस्तुत करने के साथ ही सराफा संगठन की सदस्यता के साथ ही चुनाव की प्रक्रिया आरंभ करने के लिए चर्चा की जाएगी। लेकिन दो दिन बाद 26 दिसंबर को सराफा एसोसिएशन के महामंत्री नरेंद्र दुग्गल ने समाचार पत्रों में यह बयान जारी कर दिया कि छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन का चुनाव 7 जनवरी को ही होगा। जिसमें अध्यक्ष सचिव और कोषाध्यक्ष का चयन साथ सराफा संगठन के60 सघ के 180 पदाधिकारी मतदाता करेंगे। इसके अलावा और किसी को मतदान का अधिकार नहीं होगा और उन्होंने प्रदेश के 60 संघो को ही मतदान में हिस्सा लेने की जानकारी दी है। बिलासपुर एवं अन्य जिलों के पदाधिकारी ने 7 जनवरी को होने वाले इस चुनाव को आसंवैधानिक बताया है । छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन मैं इस विवादित चुनाव को लेकर सभी जिलों में असंतोष व्याप्त है। बिलासपुर सराफा एसोसिएशन के सचिव अजय सराफ ने आज एक बयान जारी कर छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन के विवादित पदाधिकारियो पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन के संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही है और प्रदेश के पदाधिकारियो के द्वारा सदस्यों एवं पदाधिकारी को गुमराह करते हुए अलग-अलग बयान जारी किए जा रहे हैं। जैसा कि पिछले दिनों महामंत्री नरेंद्र दुग्गल ने बयान जारी कर बताया कि 7 जनवरी 2024 तक प्रदेश के अन्य जिलों के संगठन को जोड़कर एवं नए सदस्यों की रसीद काटकर आगामी नए साल में होने वाले संगठन के चुनाव में मतदान का अधिकार दिया जाएगा । लेकिन 26 दिसंबर को जो उन्होंने मीडिया में बयान जारी किया उसके मुताबिक महज 60 संगठन के पुराने मतदाता ही सराफा एसोसिएशन के चुनाव में हिस्सा ले सकेंगे। यह संविधान का उल्लंघन है और अवैधानिक प्रक्रिया है। छत्तीसगढ़ संगठन केपदाधिकारियो ने चुनाव अधिकारी भी नियुक्त कर दिए हैं, जबकि चुनाव अधिकारियों को इसकी जानकारी भी नहीं है। इस मामले में चुनाव अधिकारियों ने अनभिज्ञता बताते हुए संविधान की जानकारी नहीं होने की बात कही। सचिव अजय सराफ ने यह भी कहा है कि पिछले कार्यकाल में जबकि 1 साल से अधिक समय पिछले पदाधिकारी का कार्यकाल बढ़ गया है ।उसके बावजूद किसी को भी नया सदस्य नहीं बनाया गया है। जबकि यह संस्था विस्तार और विकास के लिए ही समर्पित है । सराफा व्यापारियों को संघ से जोड़ना तथा सराफा का विस्तार करना ही सराफा एसोसिएशन का मुख्य उद्देश्य है। बिलासपुर सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल सोनी ने कहां है कि छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन का कार्य क्षेत्र अंबिकापुर से लेकर बस्तर रायगढ़ से लेकर राजनांदगांव लगभग 5000 से अधिक दुकानों व दुकानदारों का एक संगठन है। अभी तक प्रदेश की वर्तमान कार्यकारिणी ने सराफा एसोसिएशन के विस्तार एवं विकास के लिए कोई निर्णय नहीं लिया। रायपुर एवं राजधानी के आसपास ही संगठन के काम को सीमित कर दिया गया है, एवं चुनिंदा चार-पांच लोग ही छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन में पिछले कई सालों से अघोषित रूप से कब्जा जमाए बैठे हैं। इससे बिलासपुर राजनंदगांव रायपुर रायगढ़ कोरबा सहित कई जिलों के संगठन के वरिष्ठ सदस्य असंतुष्ट हैं। अध्यक्ष कमल सोनी ने कहां है कि संविधान संशोधन करने का प्रस्ताव अवैधानिक है, इसकी जिम्मेदारी नए कार्यकारिणी को करना चाहिए । वर्तमान पदाधिकारियो का कार्यकाल पूरा हो चुका है उन्हें संविधान संशोधन का अधिकार भी नहीं है । 7 जनवरी को रायपुर में होने वाले सराफा व्यापारियों के सम्मेलन में संगठन पर चर्चा होना चाहिए, नए सदस्यों पर चर्चा होना चाहिए और विधिवत नये कार्यकारिणी के गठन पर चर्चा होना चाहिए।

























































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