छत्तीसगढ़

आईआईटी भिलाई की यात्रा में सीसीएलटी मील का पत्थर साबित होगा- राज्यपाल श्री डेका

राज्यपाल श्री डेका ने आईआईटी भिलाई में संस्कृति, भाषा और परम्परा केंद्र का किया शुभारंभ

रायपुर, 09 दिसंबर 2024. राज्यपाल श्री रमेन डेका ने कहा है कि आईआईटी भिलाई की यात्रा में संस्कृति, भाषा और परम्परा केंद्र महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। इस केंद्र की स्थापना आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक विरासत और ज्ञान, लुप्तप्राय भाषाओं और सतत विकास पर अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्टता के लिए एक अंतःविषय केंद्र के रूप में की गई है। केंद्र का मिशन छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों की भाषाई विविधता, सांस्कृतिक बहुलवाद, पारिस्थितिक ज्ञान और सामूहिक स्मृति को भारत में सामने लाना है।

राज्यपाल श्री डेका आज आईआईटी भिलाई में संस्कृति, भाषा और परम्परा केंद्र के शुभारंभ अवसर पर आयोजित समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से सम्बोधित कर रहे थे। राज्यपाल श्री डेका ने आगे कहा कि यह केंद्र छत्तीसगढ़ सरकार के साथ मिलकर एक नोडल ज्ञान केंद्र बनाने के लिए काम कर रहा है। इसमें आईआईटी भिलाई में छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर एक पुस्तकालय और अत्याधुनिक संग्रहालय शामिल होगा। इस ज्ञान केंद्र को राज्य के आदिवासी समुदायों के मौखिक इतिहास और सामूहिक सांस्कृतिक यादों के भंडार के रूप में योजनाबद्ध किया गया है।

राज्यपाल श्री डेका ने आईआईटी भिलाई में संस्कृति, भाषा और परम्परा केंद्र का किया शुभारंभ

राज्यपाल श्री डेका ने आईआईटी भिलाई में संस्कृति, भाषा और परम्परा केंद्र का किया शुभारंभ

राज्यपाल श्री डेका ने कहा कि विकसित भारत 2047 के हमारे सामाजिक और राष्ट्रीय लक्ष्य को पूरा करने के लिए इस तरह की पहल समय की मांग है। तेजी से हो रहे वैश्वीकरण के हमारे समकालीन युग में, एक जोखिम यह है कि अपने राष्ट्र के विकास में, हम अपने इतिहास, विरासत और विरासत से संपर्क खो सकते हैं। हमारी साझेदारी, सामूहिक एकता, अपने समाज को ऊपर उठाने और इसे दुनिया के सबसे समृद्ध देशों में शामिल करने की इच्छा कभी-कभी हमें यह भूलने पर मजबूर कर देती है कि हम कौन हैं और हम कहाँ से आए हैं। यह याद रखना और खुद को लगातार याद दिलाना महत्वपूर्ण है कि विकास का मतलब एकरूपता नहीं है, इसका मतलब हमारी सांस्कृतिक और जातीय पहचान का नुकसान नहीं है। राज्यपाल ने कहा कि हम भारत के लोग दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक होने के लिए भाग्यशाली हैं। भारतीय दर्शन, कला और वास्तुकला की जड़ें हजारों साल पुरानी हैं और जाति, पंथ और समुदायों के विचारकों की अनगिनत पीढ़ियों के योगदान के माध्यम से परिष्कृत हुई हैं। राज्यपाल ने कहा कि आईआईटी हमारे भारतीय ज्ञान प्रणालियों की इस विरासत को पुनः प्राप्त करने के लिए शोध के विभिन्न तरीकों पर काम कर रहा है। हमारी खोई हुई ऐतिहासिक विरासत का दस्तावेजीकरण और उसकी गरिमा को बहाल कर रहा है और बिगड़े हुए पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने में पारंपरिक कृषि तकनीकों के लाभों को सामने ला रहा है। यह ग्रामीण महिलाओं को डिजिटल तकनीकों के साथ लचीली आजीविका हासिल करने में सक्षम बना रहा है। आज लॉन्च की गई रिपोर्ट हमारे राज्य की विरासत और इतिहास तथा आदिवासी समुदायों के गहन पारिस्थितिकी और कृषि ज्ञान को उजागर करती है।

राज्यपाल ने आईआईटी भिलाई के विद्यार्थीयों और कर्मचारियों को अनुसंधान केंद्र की स्थापना के लिए बधाई दी। इस अवसर पर राज्यपाल श्री डेका ने  हेरिटेज एप्रीसिएशन ऑफ बारसुर-पर्सपेक्टिव्स ऑन हिस्ट्री, आर्किटेक्चर एण्ड टूरिज्म और ऑगमेंटिग लाइवलीहुड्स थ्रु जीआई-ए केस स्टडी ऑन छत्तीसगढ़ रिपोर्ट लॉन्च किया। राज्यपाल श्री डेका ने समारोह स्थल पर लगाए गए छत्तीसगढ़ जनजातीय हैन्डीक्राफ्ट्स स्टॉल का भी अवलोकन किया।

समारोह में सीसीएलटी (संस्कृति, भाषा और परम्परा) केंद्र के संयोजक डॉ. अनुभव प्रधान ने स्वागत भाषण दिया। आईआईटी भिलाई के डायरेक्टर प्रो. राजीव प्रकाश ने आईआईटी की गतिविधियों पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला।

इस अवसर पर क्षेत्रीय विधायक श्री डोमनलाल कोर्सेवाड़ा, संभाग आयुक्त श्री एस.एन. राठौर, कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी, पुलिस अधीक्षक श्री जितेन्द्र शुक्ला  प्राध्यपक गण एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे।

[email protected]

स्वामी, संचालक – अनिल रतेरिया पता – गौरीशंकर मंदिर रोड़, रायगढ़ (छ.ग.) ईमेल: [email protected] मोबाईल नं.: +91-9827197981

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button