Raigarh: कबाड़ बीनने के बहाने बच्ची के साथ अनाचार की कोशिश, युवक को 20 साल कठोर कारावास की सजा

रायगढ़। कबाड़ बिनने के बहाने बालिका को सुनसान इलाके में ले जाकर उसके साथ अनाचार करने की कोशिश करने वाले आरोपी को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एफटीएससी पाॅस्को न्यायालय ने अलग-अलग धाराओं में 20 साल के कठोर कारावास और जुर्माने से दंडित किया है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार मामला संक्षेप में इस प्रकार है कि पीड़िता की मां ने सिटी कोतवाली थाने में शिकायत करते हुए बताया था कि घरेलू विवाद के चलते वह अपनी लड़की 05 साल 08 माह तथा उसका भाई 10 साल को लेकर शहर के केवड़ाबाड़ी बस स्टैण्ड के यात्री प्रतीक्षालय में रहती थी और बगल में ही महराज होटल में काम करती थी। यात्री प्रतीक्षालय में कैलाश राजपूत निवासी केछवाकानी, जशपुर भी बगल में सोता था। जो कि कबाड़ बिनने का काम करता था। 11 अगस्त 2023 शुक्रवार को वह बुखार के कारण प्रतीक्षालय में सो रही थी उसका लड़का एवं पीड़िता बेटी खेल रहे थे, इसी बीच शाम 4 बजे पीडिता का भाई अपनी मां को जगाते हुए बताया पीडिता को कैलाश राजपूत बुलाकर कहीं ले गया है जिसे आसपास पतासाजी किये, लेकिन पता नही चला।
पीडिता की मां ने सिटी कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराई जिस पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 363, 368 के तहत अपराध दर्ज कर मामले को जांच में ले लिया। 15 अगस्त को पीड़िता को सेवा भारती मातृछाया जबलपुर से बरामद कर रायगढ़ लाया गया। पूछताछ के दौरान पीड़िता ने बताया कि आरोपी कैलाश राजपूत कबाड़ बिनने के लिये अपने साथ ले गया था जहां रेलवे स्टेशन में रखा और सूनसान जगह पर ले जाकर उसके साथ बलात्कार करने की कोशिश करता रहा। पीडिता के चिल्लाने पर उसके साथ मारपीट करते हुए मारकर फेंकने की भी धमकी देता रहा।
इस सूचना के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 323, 506, 366 (क) 376 (2) (ढ) एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 06 पास्को एक्ट जोड़ते हुए आरोपी को न्यायालय में पेश किया गया, जहां दोनों पक्षों की सुनवाई पश्चात अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एफटीएससी पास्को न्यायालय के पीठासीन अधिकारी देवेन्द्र साहू ने आरोपी कैलाश राजपूत को धारा 363, 366, 376कख, 376 (2) (ढ) धारा 376(2), 323 एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 6 के आरोप में दोषसिद्ध किया और उपरोक्त धाराओं के तहत अलग-अलग धाराओं में कुल 20 वर्ष के कठोर कारावास तथा 8 हजार के अर्थदण्ड से दंडित किया है। न्यायालय के आदेश में आरोपी के द्वारा अर्थदण्ड न पटाने पर अलग-अलग धाराओं में पृथक से सजा भुगताने का भी प्रावधान किया गया है। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक मोहन सिंह ठाकुर ने पैरवी की। इस मामले में विवेचना टीआई शनिप रात्रे और एसआई दीपिका निर्मलकर ने की।