रायगढ़ के वरिष्ठ नागरिक और पूर्व सैनिक सरदार जसपाल सिंह “फौजी” स्याल का 90 वर्ष की आयु में निधन

वे 1962 के भारत-चीन युद्ध में गोली लगने के बावजूद वीरतापूर्वक लड़े
सेना से सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने रायगढ़ में “किसान ट्रांसपोर्ट” शुरू किया और 2012-13 में रायगढ़ गुरुद्वारा सिख समिति के अध्यक्ष रहे
पिछले सप्ताह ही उन्होंने अपना 90वाँ जन्मदिन मनाया था
रायगढ़। आज रायगढ़ के एक युग का अंत हो गया। 90 वर्ष की आयु में सरदार जसपाल सिंह स्याल, जिन्हें प्रेम से “फौजी” कहा जाता था, हमारे बीच नहीं रहे। वे मिलनसार, हँसमुख, और अनुशासित जीवनशैली वाले व्यक्ति थे, जिन्हें प्रातःकालीन सैर (मॉर्निंग वॉक) के लिए रायगढ़ में विशेष रूप से जाना जाता था।
भारतीय सेना में रहते हुए उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध में देश की सेवा की। 1962 के युद्ध में वे गोली लगने के बावजूद वीरतापूर्वक डटे रहे। जबलपुर, लखनऊ, देहरादून और अन्य स्थानों पर उन्होंने अपनी सेवाएँ दीं और जबलपुर से सेवानिवृत्त हुए।
सेना से सेवानिवृत्ति के बाद वे रायगढ़ आए और यहाँ “किसान ट्रांसपोर्ट” के नाम से परिवहन व्यवसाय प्रारम्भ किया।
सामाजिक व धार्मिक क्षेत्र में भी वे सक्रिय रहे और वर्ष 2012-13 में रायगढ़ गुरुद्वारा सिख समिति के अध्यक्ष रहे।
2019 में उन्हें राष्ट्रपति भवन आमंत्रित किया गया और राष्ट्रपति के साथ उनके परिवार ने विशेष मुलाकात व भोज का सम्मान प्राप्त किया।







रायगढ़ में रहते हुए उन्हें 70 वर्ष हो चुके थे। सेठ किरोड़ीमल के समय से रायगढ़ की सामाजिक व सांस्कृतिक धारा में सक्रिय रहे इस सामान्य किंतु प्रेरणादायी नागरिक ने पिछले सप्ताह ही अपना 90वाँ जन्मदिन परिवार के साथ हर्षोल्लास से मनाया था। आज वे स्वर्गवासी हो गए, अपने पीछे भरा-पूरा परिवार और असंख्य शुभचिंतक छोड़ गए हैं।