दो हजार का बिजली बिल बाकी हो तो गरीब के घर में अंधेराः- मुरारी गुप्ता

उद्योगों पर सौ करोड़ बाकी होने के बावजूद पानी का उपयोग बदस्तूर जारी
रायगढ़। (18 सितंबर) प्रदेश में अमीरी और गरीबी के बीच की खाई को कुछ अधिकारी अपने निजी स्वार्थ और दुलमुल रवैये से दिनों दिन चौड़ा करते जा रहे हैं, जिसके कारण किसी भी आक्रोश का ज्वालामुखी फट सकता है।”
उक्ताशय का आरोप वरिष्ठ इंका नेता ने लगाते हुए कहा है कि यदि किसी गरीब का बिजली का बिल दो हजार भी बाकी हो तो उसके घर में बिजली काटकर अंधेरा कर दिया जाता है, लेकिन जिले के अनेकों उद्योगों पर सौ करोड़ आसपास जलकर बकाया है उनके ऊपर कोई कार्यवाही होना तो दुर उन्हें बदस्तुर हमारी नदियों, बांधों और भुजल का भरपुर उपयोग करने की छुट ऐसे सुस्त अधिकारियों द्वारा दी जा रही है। जलकर की राशि बकाया होने के बाद भी उद्योगों को जल दोहन की अनुमति क्यों दी जा रही और किसके निर्देश पर दी जा रही है यह गंभीर जांच का विषय है। यदि सरकार इस दिशा में कुछ नहीं करती तो न्यायालय को स्वयं संज्ञान लेकर कार्यवाही करना चाहिए।







श्री गुप्ता ने बताया कि एक उद्योग पर तो 50 करोड़ की राशि बकाया होने के बावजुद यह उद्योग बिक गया, सरकार की करोड़ों की राशि बाकी होने के बाद भी दस्तावेजों में नये मालिकों के नाम चढ़ गए किंतु जल संसाधन विभाग के हमारे अधिकारी गहरी निद्रा में सोते रहें।
इसी तरह जुटमिल पर भी मजदुरों एवं शासन के टैक्स आदि की काफी राशि बकाया बताई जा रही थी। मिल के मजदुरों ने बकायदा आंदोलन भी किया था। शासन को इस बात की जांच करनी चाहिए कि जुटमिल के मजदुरों और शासन का कोई टैक्स बकाया हो तो राशि मिली कि नहीं? या फिर जल संसाधन विभाग की तरह जुटमिल भी बकाया को घटा बताकर नये मालिको के पास चली गई।
वरिष्ठ इंका नेता ने यह भी आरोप लगाया है कि अमीरी गरीबी का फर्क करने में माहिर नगर निगम की कार्यप्रणाली भी खाई को चौड़ा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यदि किसी गरीब की झोपड़ी हो, ठेला हो गुमठी हो तो उसे हटाने या नस्ट नाबुद करने में जरा भी लापरवाही नहीं बरती जाती। किंतु रसूखदारों के अवैध निर्माण लिखित शिकायत के बाद भी जस के तस खड़े हाकर शासन प्रशासन का मुंह चिढ़ा रहे है।
श्री गुप्ता ने मुख्यमंत्री और जिले के मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी से आग्रह किया है उनकी सरकार ने सुशासन का जो नारा दिया है उसी के अनुरूप कार्यवाही की अपेक्षा भी जनता चाहती है।