रायगढ़। नाबालिग से छेडखानी के मामले में अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुए तीन वर्ष कडी कैद की सजा सुनाई है। मामला घरघोड़ा न्यायालय का है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार मामला संक्षेप में इस प्रकार है कि थाना घरघोड़ा के अपराध क्रमांक 472ध्2022 के अनुसार 01 नवंबर 2022 प्रार्थिया की 10 वर्षी नाबालिक पुत्री रात्रि लगभग 8 बजे घर पर नहीं मिली तब आसपास पता करने पर भी पता नहीं चला ,तभी अभियुक्त मोहन सिंह ठाकुर के कमरे से बच्चे की रोने की आवाज सुनकर उसकी माता प्रार्थिना ने तथा पड़ोसियों ने जाकर देखा तो अभियुक्त के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था, जहां से बच्चे की रोने की आवाज आ रही थी दरवाजा खोलवाने की कोशिश किया गया किंतु अभियुक्त ने दरवाजा नहीं खोला तब दरवाजा को जबरन धक्का देकर खोला गया तो प्रार्थिया की नाबालिक पुत्री दौड़कर आई और अपने मां से लिपट कर जोर जोर से रोने लगी और बताई ,कि जब वह शौच के लिए बाहर निकली थी तभी अभियुक्त उसे बुलाकर अपने घर के कमरे में ले गया और गलत नीयत से छेड़खानी करते हुए उसकी लज्जा भंग करने की कोशिश कर रहा था एवं चाकू दिखाकर जान से मारने की धमकी दे रहा था अभियुक्त चाकू दिखाकर डरा धमका कर 10 वर्षी नाबालिक को अपने कमरे में बंद कर रखा था नाबालिक पीड़िता की माता ने घटना की शिकायत उसी दिनांक को घर घोड़ा थाने में की थी जिस पर थाना प्रभारी घर घोड़ा के द्वारा त्वरित कार्यवाही करते हुए विवेचना अधिकारी उप निरीक्षक एडमोन खेस को प्रकरण की विवेचना की जिम्मेदारी दी।
विवेचना अधिकारी एडमोन खेस द्वारा प्रार्थिया की शिकायत के आधार पर जांच प्रारंभ की गई जांच उपरांत मोहन सिंह ठाकुर के विरुद्ध अपराध किया जाना सबूत पाए जाने पर धारा 342 354 506 भाग 2 भारतीय दंड संहिता एवं लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 8 के तहत अभियोग पत्र तैयार कर माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था।
जिस पर माननीय न्यायालय ने सुनवाई करते हुए सभी साक्षियों का परीक्षण प्रति परीक्षण उपरांत उभय पक्ष के तर्क श्रवण कर,विद्वान न्यायालय ने अभियुक्त मोहन सिंह ठाकुर को भारतीय दंड संहिता की धारा 342 354 506 भाग 2 एवं पोक्सो एक्ट की धारा 8 के तहत दोषी पाते हुए अलग-अलग धाराओं में सजा निर्धारित कर अभियुक्त को धारा 342 भारतीय दंड संहिता के तहत 6 माह का कारवास एवं 1000 जुर्माना धारा 354 भारतीय दंड संहिता के तहत 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000 जुर्माना भारतीय दंड संहिता की धारा 506 भाग 2 के तहत 1 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000 जुर्माना तथा पाक्सो एक्ट की धारा 8 के तहत 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000 जुर्माना के अर्थ दंड से दंडित करने का दंडादेश पारित किया।
उल्लेखनीय है कि सभी सजाएं एक साथ चलेंगी तथा अर्थ दंड अदा न करने की स्थिति में माननीय न्यायालय ने अभियुक्त को एक माह की कठोर कारावास की सजा भुगताने का भी दण्डादेश दिया है। अभियोजन की ओर से अपर लोक अभियोजक राजेश सिंह ठाकुर ने शासन का पक्ष रखा।