माइनिंग क्षेत्र में सबसे अधिक राशि खर्च होगी
रायगढ़ | डीएमएफ जिला खनिज न्यास की राशि का बंदरबांट और पैसों का दुरूपयोग हुआ है, यह काम पिछले 5-10 सालों में जमकर हुआ है। अब केन्द्र सरकार ने 15 जनवरी 2024 को मिनिस्ट्री ऑफ माइंस ने डीएमएफ की राशि खर्च करने के लिए नए नियम बनाए है। नए नियमों को अब लागू करने की तैयारी है, रायगढ़ जिले में डीएमएफ की करीब 95 प्रतिशत राशि कोयला खदानों से प्राप्त होती है।
हर वर्ष 100 करोड़ की राशि डीएमएफ फंड से मिलती है, लेकिन इस साल 150 करोड़ रूपए ही खर्च किया जाएगा। इसमें से महासमुंद, जशपुर और सारंगढ़ – बिलाईगढ़ जिले में 30 प्रतिशत राशि बांट दी जाती थी। नए प्रावधानों के मुताबिक अब दूसरे जिले को राशि ट्रांसफर नहीं की जा सकेगा। महत्वपूर्ण बदलाव यह हुआ है कि न्यूनतम 70 प्रतिशत राशि प्रत्यक्ष प्रभावित क्षेत्रों में खर्च की जाएगी। बाकी राशि अप्रत्यक्ष प्रभावित क्षेत्रों में हो सकेगी, दूसरे जिलों में राशि हस्तातंरण नहीं होगा ।
15 किमी में ही होगी खर्च
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावितों की परिभाषा में मनमाने तरीके से बदलाव कर अब तक करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। यही वजह है कि प्रत्यक्ष प्रभावितों के इलाके में कुछ भी नहीं बदला। इसलिए नए गाईडलाइन में कहा गया है कि राज्य सरकार खदान के प्रत्यक्ष प्रभावित क्षेत्र का चिह्नांकन कर सकती है लेकिन इसका रेडियस 15 किमी से अधिक नहीं होगा । अप्रत्यक्ष प्रभावित क्षेत्र भी 25 किमी से दूर नहीं होगा ।
तमनार और घरघोड़ा को ज्यादा फायदा
रायगढ़ जिले में सभी कोयला खदानें तमनार और घरघोड़ा में हैं। जिन गांवों के पास खदानें हैं, वहां अब भी सुविधाओं का विस्तार नहीं हो सका है। शुद्ध पेयजल, अच्छी सडक, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल आदि सुविधाओं में बढ़ोतरी नहीं हुई। अब डीएमएफ की पूरी राशि तमनार और घरघोड़ा में ही खर्च होगी। ज्यादा से ज्यादा 30 प्रतिशत रकम 15 से 25 किमी के बीच में खर्च हो सकेगी। केंद्र सरकार ने 15 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के तहत खर्च किए जाने वाले डीएमएफ के लिए नई गाइडलाइन जारी कर दी थी। इसमें कई नए प्रावधान जोड़े गए, ताकि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावितों का जीवन सुधरे। दस महीने बीत चुके हैं और नई नियमावली को कैसे लागू करना है यह स्पष्ट नहीं हुआ है।
एजी रिपोर्ट में कहा – प्रभावित इलाकों में काम नहीं हुआ
कांग्रेस शासनकाल में डीएमएफ मद का ज्यादा दुरुपयोग हुआ, अब प्रदेश में नई बीजेपी की सरकार बनी तो इसकी जांच करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया। इसके अलावा एजी (महालेखाकार) ऑडिट भी इस पर ज्यादा कड़ाई से की गई। बताया जाता है कि इस ऑडिट में यह बात सामने आई है कि कांग्रेस काल में खनिज न्यास निधि में प्रभावित क्षेत्र में जो राशि अधिक खर्च होनी थी, लेकिन उसे प्रभावित क्षेत्र
फैक्ट फाइल-
कोल खदाने – निजी और सरकारी 10 से अधिक खदाने है
गिट्टी, डोलोमाइट सहित अन्य खदाने करीब 30 खदाने हैं, खनिज न्यास से यही मिलेगी राशि
छोड़कर जिला और ब्लॉक मुख्यालयों में बड़ी राशि खर्च कर दी गई, इस बात को लेकर आपत्ति दर्ज हुई है। कई जगहों में राशि का जबरिया बंटरबांट कर उस राशि का भी दुरुपयोग भी किया गया, जबरिया सामानों की खरीदी की गई। अब प्रदेश में नई सरकार ने केन्द्र सरकार नई पॉलिसी लागू करने की तैयारी कर रही है, जिसमें खनिज राशि को खनन क्षेत्र को ही प्राथमिकता मिलेगी।
नए नियमों के बाद शासी कमेटी की बैठक
डीएमएफ में यह नियम बनाया गया है कि हर तिमाही में संबंधित जिलों को राशि जारी कर दी जाएगी। छग में यह हुआ ही नहीं क्योंकि केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार राज्य ने अपनी नियमावली नहीं बनाई। जिलों को राशि मिलने के बाद इसे खर्च करने के लिए कार्यों का प्रस्ताव बनाकर शासी परिषद की बैठक में रखा जाना था। अभी तक शासी परिषद
का गठन हो जाना था क्योंकि सांसद, विधायक सब बदल चुके हैं। प्रभावित क्षेत्र के विधायक को अनिवार्य रूप से इसमें रखा जाना है। नई गाईडलाइन आने का ही इंतजार किया जा रहा है। प्रदेश में नई सरकार गठन होने के बाद रायगढ़ में शासी कमेटी की बैठक ठीक से नहीं हो पाई है। कहा जाता हैं कि केन्द्र सरकार द्वारा जो नया निर्देश जारी किया गया है, उसे राज्य शासन पालन करेगी। नया गाईडलाइन के अनुसार ही अब सब कार्य होगा, खनन प्रभावित इलाकों में ही यह राशि खर्च होगी।
डेढ़ सौ करोड़ से अधिक राशि मिलने का अनुमान
वर्ष 2024 में रायगढ़ जिले को करीब 150 करोड़ रुपए मिलने का अनुमान है, बताया जाता हैं कि इसमें 70 करोड़ रायगढ़ जिले को मिल चुके हैं। सारंगढ़- बिलाईगढ़ और महासमुंद जिले को 22- 22 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। 2024- 25 में 150 करोड़ से भी ज्यादा फंड मिलेगा क्योंकि कोयला खदानों की संख्या और उत्पादन बढ़ गया है, इस बार केंद्र सरकार ने नियम सख्त कर दिए हैं जिसके तहत एक जिले की राशि दूसरे जिले या दूसरी योजना में ट्रांसफर नहीं होगी। इसी तरह इस बार महासमुंद जिले को राशि दिए जाने का नियम काफी पहले निर्देश मिल चुका है, हालांकि अभी स्पष्ट गाईडलाइन आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी। इस राशि कैसे उपयोग किया जाना है यह स्थिति स्पष्ट हो जाए