मनेंद्रगढ़। छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़, चिरमिरी, भरतपुर जिले के ग्राम उचेहरा में स्थित एक साधू की कुटिया में रोज जंगली भालू का परिवार प्रसाद खाने के लिए पहुंचता है। भालू का परिवार प्रसाद खाने के बाद वापस जंगल में लौट जाता है। यह सिलसिला करीब एक दशक से चलता आ रहा है।
दूर-दूर से देखने आते हैं लोग
इस तरह के घटना को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं। लेकिन भालुओं ने आज तक किसी पर हमला नहीं किया है। जबकि जंगली जानवर हिंसक होते हैं और उन पर विश्वास करना मुश्किल होता है। बावजूद इसके साधू की कुटिया में पहुंचने वाले भालू एक दशक से आ रहे हैं, लेकिन इस दौरान अब तक किसी को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। अविश्वनीय किंतु यह सत्य घटना है।
साधू अपने हाथों से खिलाता है प्रसाद
बताया जाता है कि, प्रतिदिन जब साधु के अपना वाद्ययंत्र बजाते हैं, तब जंगल क्षेत्र से 3 भालू साधू की कुटिया में पहुंच जाते हैं। जिन्हें साधू द्वारा अपने हाथों से प्रसाद खिलाया जाता है। भालू पालतू की तरह प्रसाद खाते हैं और खाने के बाद फिर से जंगल की ओर निकल जाते हैं। यह घटना न केवल स्थानीय लोगों को, बल्कि दूर-दूर से आने वाले लोगों को भी अपनी ओर आकर्षित किया है।