रायगढ़। प्रतिभा की अवधारणा स्वाभाविक रूप से बहुआयामी है, जिसमें क्षमताओं, कौशल और विशेषताओं की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल होती है। यह विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न रूपों में प्रकट हो सकती है। प्रतिभा को केवल एक परिभाषा में नहीं बांधा जा सकता है, बल्कि यह कई कारकों द्वारा आकार लेती है। यह अनुभव, अभ्यास और सीखने के माध्यम से समय के साथ विकसित होती है।
डॉ. कनु पांडेय ने अपने विद्यालयीन अवस्था से ही विभिन्न गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित की है। पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और अन्य गतिविधियों में उनकी सक्रिय भागीदारी ने उन्हें सदैव सर्वोच्च स्थान पर रखा है।
डॉ. कनु पांडेय ने अपनी अद्वितीय प्रतिभा और निरंतर परिश्रम के माध्यम से जो पहचान बनाई है, वह सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। उनके रिसर्च कार्य ने न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, बल्कि यह भी दर्शाया है कि कैसे एक व्यक्ति की प्रतिबद्धता और मेहनत उसे उत्कृष्टता के शिखर पर पहुंचा सकती है। डॉ. कनु पांडेय की यह उपलब्धि निश्चित रूप से भविष्य में और भी बड़े योगदानों की ओर इंगित करती है।
चिकित्सा के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान
डॉ. कनु पांडेय ने अपने मेडिकल शिक्षा के दौरान एक महत्वपूर्ण रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया, जिसका शीर्षक है “अनलोकिंग ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस”। यह बीमारी मुंह के कैंसर की प्रारंभिक स्थिति होती है। उनके रिसर्च ने इसके प्रारंभ से लेकर इलाज और रोकथाम के संपूर्ण उपायों का व्यापक अध्ययन प्रस्तुत किया है।
यह रिसर्च पेपर प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय संस्था आई एस एस एन के समक्ष प्रस्तुत किया गया और इसे “जर्नल ऑफ ओरल मेडिसिन, ओरल सर्जरी, ओरल पैथोलॉजी और ओरल रेडियोलॉजी” के आधिकारिक प्रकाशन में प्रकाशित किया गया।
आईएसएसएन पुरस्कार से सम्मानित
डॉ. कनु पांडेय के इस महत्वपूर्ण रिसर्च पर आई एस एस एन संस्था ने त्रिची, केरला में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में उन्हें आई एस एस एन पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्हें मोमेंटो और गोल्ड मैडल देकर सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित मामलों पर उत्कृष्ट योगदान के लिए विश्वभर के नामांकित व्यक्तियों को दिया जाता है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
डॉ. कनु पांडेय रायगढ़ के प्रतिष्ठित समाजसेवी डॉ प्रशांत पांडेय और श्रीमती सुमिता पांडेय की सुपुत्री हैं। उनके माता-पिता ने उनकी प्रतिभा को सदैव प्रोत्साहित किया और उनके हर कदम पर साथ दिया।