रायगढ़, 11 जून 2024/ मृदा वैज्ञानिक डॉ.के.डी.महंत ने जलवायु अनुकूल धान की डीसीआर (धान की सीधी बुवाई) तकनीक के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि धान की खेती में बढ़ती लागत चिंता का विषय बनी हुई है। एक तरफ मजदूर न मिलने से धान की रोपाई में बहुत परेशानी होती है, तो वहीं महंगी होती मजदूरी से खेती की लागत भी काफी बढ़ जाती है, जिससे किसानों को धान की खेती करने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं धान की खेती करने में किसानों को कई तरह के कार्य करने होते हैं, यह कार्य काफी मेहनत भरा होता है। मसलन, धान की खेती के लिए नर्सरी तैयार करना, रोपाई करना, रोपाई के खेत की तैयारी जैसे काम करने होते हैं, जो किसानों की लागत को बढ़ाते ही हैं साथ ही उनका समय भी खराब करते हैं।
प्रधान अन्वेषक डॉ.राजपूत, सह अन्वेषक डॉ.के.डी.महंत एवं वरिष्ठ अनुसंधान सहायक डॉ.मनोज साहू द्वारा समय अनुसार कृषि एडवाइजरी जारी किया जाता है। कृषि विज्ञान केंद्र रायगढ़ में संचालित निकरा परियोजना अंतर्गत जलवायु लचीला प्रौद्योगिकी के माध्यम से किसानों को जरुरी सलाह दी जा रही है। मृदा वैज्ञानिक डॉ.महंत ने किसानों को जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम अपनाने की सलाह देते हुए कहा कि किसान धान की सीधी बुवाई करके कम लागत से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। डीएसआर तकनीक से धान की बुआई करने पर धान की फसल रोपाई करके लगाई गई धान की फसल की तुलना में 7 से 10 दिन पहले पक कर तैयार हो जाती है। जिससे धान की फसल के बाद लगने वाली फसलों को समय पर लगाया जा सकता है। मृदा विशेषज्ञ डॉ.महंत ने कहा कि इस मशीन से धान की खेती करने के लिए किसानों को धान की नर्सरी तैयार करने की आवश्यकता नहीं होती है। डीएसआर मशीन के माध्यम से किसान धान की बीजों से सीधे खेत में बुवाई कर सकते हैं, इससे बुवाई करने पर श्रमिकों तथा पानी की कम आवश्यकता होती है। साथ ही अधिक क्षेत्र में कम समय के अंदर बुआई को पूरा किया जा सकता है। डॉ महंत ने बताया कि डीएसआर मशीन का पूरा नाम डायरेक्ट सीडेड राइस मशीन है। यह मशीन धान की परंपरागत रोपाई से हटकर कार्य करती है। इस मशीन से बुवाई करने से पहले खेत को लेजर लैंड लेवलर से समतल कराने की जरूरत होती है। उसके बाद डीएसआर मशीन के द्वारा बुवाई की प्रक्रिया को किया जाता है। इसके बाद इस मशीन से खाद और बीज को एक साथ बोया जाता है। यह मशीन बुआई करते समय खेत की भूमि में पतली लाइन चढ़ाती है। मशीन के साथ लगी दो अलग-अलग पाइप से उर्वरक और बीज अलग-अलग गिरता है, जिससे धान की बीज की बुआई होती है।