रायगढ़ की माटी और अस्मिता से जुड़ा एक नाम :- ओ. पी. चौधरी

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तमाम प्रतिकूल व अभावग्रस्त परिस्थितियों से जूझकर जिन बिरले लोगों ने सफलता की ऊंचाइयों को छुआ है उनमें रायगढ़ की माटी के सपूत ओ.पी.चौधरी का नाम राष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय है। भारत की उद्दात्त संस्कृति, छत्तीसगढ़ की आध्यात्मिक व सांस्कृतिक परम्परा तथा यहां की मिट्टी से बेहद प्यार करने वाले ओ पी चौधरी का जन्म 2 जून 1981 को रायगढ़ शहर से सटे हुये गांव बायंग में एक किसान परिवार में हुआ। इनके पिता दीनानाथ चौधरी किसानी करने के साथ ही प्रायमरी स्कूल में अध्यापक रहे। जब ओ पी मात्र 8 वर्ष के थे तब उनके सर से पिता का साया उठ गया। केवल चौथी कक्षा पास उनकी माता कौशल्या देवी ने पेंशन की धनराशि से अपने तीन बच्चों की परवरिश की।























जब नन्हें ओ पी अपनी माता जी के साथ पेंशन लेने हेतु रायगढ़ कलेक्टोरेट कार्यालय आते थे तब उन्होंने देखा कि कैसे कलेक्टर के आदेश पर फटाफट जरूरतमंद लोगों के काम हो जाते हैं। बस यहीं से उनके बाल-मन में कलेक्टर बनने का सपना पलने लगा। उन्होंने 12 वीं कक्षा तक की शिक्षा हिंदी मीडियम में गांव के ही साधनहीन स्कूलों से पूरी की। बड़ी बहन के प्रोत्साहन से कल्याण कॉलेज भिलाई से उन्होंने बी.एस.सी की परीक्षा पास की। तत्पश्चात बचपन से पल रहे कलेक्टर बनने के सपने को पूरा करने के लिये वे दिल्ली पंहुचे।

आरम्भ से बेहद मेहनती व मेधावी रहे ओ पी चौधरी ने मात्र 23 वर्ष की उम्र में भारत की सबसे कठिन व प्रतिष्ठापूर्ण आई.ए.एस परीक्षा प्रावीण्यता के साथ उत्तीर्ण की । उन्होंने भारत के दूसरे सबसे छोटी उम्र के कलेक्टर बनने का कीर्तिमान स्थापित किया। सन 2005 बैच के इस नौजवान अधिकारी ने मसूरी में प्रशिक्षण के दौरान गोल्ड मैडल हासिल कर पुनः अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। वर्ष 2011 में उन्हें पहली बार जिला कलेक्टर बनने का अवसर मिला तो उन्होंने नक्सल पीड़ित दंतेवाड़ा जिला को अपने कार्यक्षेत्र के रूप में चुना और वहीं पदस्थापना ली। यहां उन्होंने वो कर दिखाया जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हुई। इस आदिवासी जिले में उन्होंने प्राइमरी स्कूल के बच्चों से लेकर महाविद्यालयीन स्तर के छात्रों हेतु शिक्षा की कई अनोखी योजनाएं लागू की और बहुत बड़ी आबादी को हिंसा के रास्ते से हटाकर समाज की मुख्यधारा की ओर मोड़ा।

अपने काम व मिलनसारिता से बहुत कम समय में ही ओपी ने गरीब आदिवासियों का दिल जीत लिया। इन योजनाओं में नन्हें परिंदे, छू लो आसमान, पोटा कैबिन्स , प्रोजेक्ट तमन्ना, शिक्षा सवारी योजना, साइंस म्यूज़ियम, स्पोर्ट्स क्लब, इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग सेंटर,आधुनिक ट्राइबल गर्ल्स स्कूल आदि ने धूम मचा दी। गीदम जैसे बीहड़ क्षेत्र के ग्राम जावंगा में कई एकड़ में अत्याधुनिक एजुकेशन हब बनाकर उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की । इस प्रोजेक्ट को देखने के लिये विदेशी मीडिया की कई टीम छत्तीसगढ़ आयीं। इस एजुकेशन सिटी को के पी एम जी ने दुनिया के “सौ इनोवेटिव अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट” में शामिल किया जो कि भारत व छत्तीसगढ़ के लिये गौरव की बात थी।

ओ पी की सर्वाधिक चर्चित योजना “लाइवली हूड कॉलेज” के नाम से प्रसिद्ध हुई जिसके लिये वर्ष 2011-12 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें ‘प्रधानमंत्री एक्सीलेंस अवार्ड’ से सम्मानित किया। रायपुर निगम कमिश्नर और फिर रायपुर कलेक्टर रहते हुए ओ पी ने राजधानी रायपुर का जिस तरह से कायाकल्प किया, उसके लिये रायपुर की जनता आज भी उन्हें याद करती है। तेलीबांधा तालाब प्रोजेक्ट, खेल स्टेडियम, प्रयास स्कूल प्रोजेक्ट और नालंदा परिसर के रूप में विश्वस्तरीय लाइब्रेरी का निर्माण करके इन्होंने जिस कार्यकुशलता व कल्पनाशीलता का परिचय दिया उसकी गूंज दिल्ली तक सुनी गयी।

स्वर्णिम सफलताओं के बावजूद ओ पी चौधरी हमेशा जमीन से जुड़े रहे। अपनी 13 वर्ष की कलेक्टरी के दौरान इस होनहार शख्सियत ने यह महसूस किया कि देश-प्रदेश की दशा व दिशा में बड़े पैमाने पर सार्थक बदलाव करने की शक्ति राजनीतिक नेतृत्व के पास केंद्रित होती है क्योंकि नीति निर्माण उनके अधिकार क्षेत्र में आता है। अतः अपनी योग्यता व कार्यक्षमता से बड़ा परिवर्तन करना हो तो राजनीतिक प्रतिनिधत्व जरूरी है। इसी सोच के कारण ही उन्होंने कलेक्टरी जैसी सर्वाधिक आकर्षक नौकरी को छोड़कर राजनीति में शामिल होने का निर्णय लिया । वर्ष 2018 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी जैसी राष्ट्रवादी पार्टी की सदस्यता ली और उसी वर्ष उन्होंने कांग्रेस की अपराजेय सीट खरसिया से विधानसभा चुनाव में उतरने की चुनौती को स्वीकार किया। दुर्योग से चुनाव परिणाम अनुकूल नहीं रहा लेकिन इससे हताश होने की बजाय उन्होंने पूरी निर्भीकता व प्रतिबद्धता के साथ विपक्षी नेता के रूप में संघर्ष को जारी रखा। रायगढ़ से लेकर बस्तर तक भाजपा को पुनर्गठित करने हेतु उन्होंने जी-जान से मेहनत की।

विगत पांच वर्षों में रायगढ़ के हर जनआंदोलन का उन्होंने बढ़-चढ़ कर नेतृत्व किया। यहाँ के युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये तैयार करने हेतु उन्होंने लगातर मोटिवेशनल कैम्प्स लगाये। उनकी राजनीतिक कुशलता व तन-तोड़ मेहनत ने रायगढ़ भाजपा को नवजीवन दिया। ओपी की लोकप्रियता, सर्वस्वीकार्यता तथा सर्वस्पर्शी व सर्वसमावेशी कार्यशैली को देखते हुये भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें इस बार रायगढ़ से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। रायगढ़ की जनता ने इस होनहार युवा पर भरपूर स्नेह लुटाया और इन्होंने 64443 वोट के ऐतिहासिक अंतर से विजय श्री हासिल कर विधानसभा में धमाकेदार एंट्री की। भाजपा आलाकमान ने इनकी योग्यता को देखते हुये इन्हें वित्तमंत्री का बेहद महत्वपूर्ण व चुनौतीपूर्ण दायित्व सौंपा । आरंभिक पाँच महीनों में ही ओ पी ने अपनी कार्यकुशलता का परिचय देते हुये मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई में जिस तरह से मोदी की गारंटी को पूरा किया है , वह बेजोड़ है। इस अल्प अवधि में ही एक ठोस कार्ययोजना के तहत रायगढ़ विधानसभा के सर्वांगीण विकास के लिये जो कदम उठाये हैं उसके सुखद परिणाम आने वाले समय में हम सबको देखने मिलेगा। जनविश्वास है कि उनके नेतृत्व में रायगढ़ जिला ऐतिहासिक विकास की उचाईयों को अवश्य हासिल करेगा।

जन्मदिन पर हृदय से बधाई एवं शुभकामनाएं



































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