सूरजपुर। एक पुलिस आरक्षक द्वारा जयनगर थाना में पदस्थ रहते हुए अपने दो कार्यकाल में मोटरयान अधिनियम के तहत वसूली की गई 17 लाख रुपये से अधिक की राशि शासन के खाते में जमा करने के नाम पर गड़बड़ी करते हुए हजम कर जाने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। मामले में गड़बड़ी की पुष्टि होने पर जयनगर पुलिस ने आरोपित पुलिस आरक्षक दीपक सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं के तहत अपराध दर्ज कर लिया है।
वहीं आरोपित आरक्षक द्वारा दूसरे थानो में पदस्थापना के दौरान स्टेट बैंक सूरजपुर के माध्यम से शासन के खाते में जमा की गई राशि का सत्यापन भी कराया जा रहा है। पुलिस ने आरोपित आरक्षक को गिरफ्तार कर लिया है। पूरा मामला जयनगर थाना क्षेत्र का है। आरोपित पुलिस आरक्षक दीपक सिंह पिता कामेश्वर सिंह 36 वर्ष निवासी माइनस कालोनी बिश्रामपुर वर्तमान में बिश्रामपुर थाना में पदस्थ है। उसने साल 2015 से 2018 तथा साल 2020 से 2022 तक जयनगर थाना में पदस्थ रहते हुए धोखाधड़ी के कृत्य को अंजाम दिया था।
ऐसे हुआ सालों तक हुई धोखाधड़ी का राजफाश-
गड़बड़ी की आशंका को लेकर जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एमआर माहिरे ने 13 मई को जरिण् थाना से शासन के खाते में जमा की गई राशियों का जिला कोषालय अधिकारी से सत्यापन कराने का निर्देश दिया। इस तारतम्य में जयनगर थाना की तत्कालीन थाना प्रभारी प्रशिक्षु उप पुलिस अधीक्षक स्निग्धा सलामे द्वारा जिला कोषालय अधिकारी के नाम से विगत 22 मई को जारी पत्र में जनवरी 2014 से जून 2017 तक जयनगर थाना से समन शुल्क की जमा की गई राशि का सूचीवार सत्यापन कर जानकारी उपलब्ध कराने का जिक्र किया गया। इस पर जिला कोषालय अधिकारी सूरजपुर द्वारा 24 मई को दी गई जानकारी में उल्लेखित किया गया कि एक जनवरी 2014 से 30 मार्च 2016 तक सूची के मुताबिक 72 पृथक पृथक चालानों के माध्यम से उक्त अवधि में जमा की गई समन शुल्क की कुल राशि नौ लाख 79 हजार 400 रूपये का ईकोष में डाटा नहीं खुलने के कारण सत्यापन नहीं किया जाने का उल्लेख किया गया। जिला कोषालय अधिकारी द्वारा स्पष्ट किया गया कि साल 2016 से 2023 तक 56 चालानों के जरिये भिन्न भिन्न तिथियों में मोटर यान अधिनियम के तहत वसूल की गई समन शुल्क की राशि 17 लाख 66 हजार 860 रुपये साइबर ट्रेजरी में जमा नही किया गया। इससे स्पष्ट हुआ कि 17 लाख रुपये से अधिक रकम का फर्जीवाड़ा हुआ है।
56 चालानों की 17 लाख राशि का गबन-
जांच में पता चला कि मोटरयान अधिनियम के तहत साल 2016 से 2023 तक जयनगर थाना में 56 चालानों के तहत समन शुल्क के रूप में वसूली गई 17 लाख 66 हजार 860 रुपये की रकम को शासन के खाते में जिला कोषालय के लिए स्टेट बैंक सुरजपुर में जमा करने आरक्षक दीपक सिंह को दी गयी थी। इसे उसने बैंक में जमा करने के बजाय हड़प ली और उसने स्टेट बैंक सूरजपुर का फर्जी स्टांप, सील व हस्ताक्षर कर कूटरचित दस्तावेज जमा कर शासकीय मद की राशि का गबन कर दंडनीय अपराध किया है।
बिश्रामपुर थाने में भी गड़बड़ी का अंदेशा-
आरोपित आरक्षक दीपक सिंह वर्तमान में बिश्रामपुर थाना में पदस्थ है। यहां से भी दीपक सिंह द्वारा स्टेट बैंक की सूरजपुर शाखा में शासन मद में जमा कराई गई रकम में भी गड़बड़ी प्रकाश में आ रही है। बिश्रामपुर पुलिस भी जमा राशि का सत्यापन कराने में जुटी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सवा लाख से अधिक की राशि की गड़बड़ी का पता चला है और सत्यापन जारी है। हालांकि पुलिस ने इस आशय की पुष्टि नही की है। वही आरक्षक दीपक सिंह जिस भी थाने में पदस्थ रहे है। उन थानों में भी सत्यापन कराया जा रहा है।
आखिर आडिट में क्यों नही हुआ पर्दाफाश-
सात साल तक उक्त फर्जीवाड़ा होता रहा। हर साल पुलिस के रिकार्डो का आडिट होता रहा। उसके बावजूद उक्त गड़बड़ी के प्रकाश में नही आने से आडिट करने वाले ऑडिटरों की भूमिका पर भी सवाल खड़ा होना लाजिमी है। मामले का पर्दाफाश होने पर एसपी सूरजपुर ने समस्त थानों को विभिन्न मदो में बैंक के जरिए शासन मद में जमा राशि का सत्यापन जिला कोषालय से करने के निर्देश जारी कर दिए है। मामले पर आइजी अंकित गर्ग व एसपी एमआर माहिरे के निर्देश पर जयनगर पुलिस ने आरोपित आरक्षक दीपक सिंह के विरुद्ध धारा 409, 420, 467, 468, 471 के तहत अपराध कर गिरफ्तार कर लिया है।