रायगढ़। रायगढ़ जिले के लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र में संचालित कांगे्रस के पूर्व नेता की ओम श्री रुपेश स्टील की जनसुनवाई 16 फरवरी को होनें जा रही है। पहले ही प्रदूषण की मार झेल रहे इस क्षेत्र में कंपनी के विस्तार होनें से यहां एक दर्जन से भी अधिक गांवों में इसका असर देखने को मिलेगा। मजे की बात यह है कि अभी तक प्रभावित क्षेत्र के लोगों के द्वारा ही इसका विरोध किया जा रहा है जबकि स्थानीय विधायक और भाजपा के नेताओं के द्वारा इस मामले में चुप्पी साध ली गई है।
16 फरवरी को कांगे्रस के पूर्व नेता शंकरलाल अग्रवाल की ओम श्री रुपेश स्टील की जनसुनवाई होनें जा रही है मगर अभी इस जनसुनवाई का भाजपा और कांग्रेस के नेताओं द्वारा खुलकर विरोध नही किया जा रहा है। इतना ही नही लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र की विधायक विद्यावती सिदार के अलावा इस विधानभा के लोग भी चुप्पी साधे हुए हैं । इसके अलावा इंटक भी इस जनसुनवाई के विरोध में सामने क्यो नही आ रही यह बात भी समझ से परे है।
रायगढ़ जिले में उद्योगों के विस्तार और स्थापना का सिलसिला थमने लगातार जारी है। इसका खासा असर यहां की जल जंगल और जमीन के साथ-साथ लोगों के स्वास्थ्य पर आसानी से देखा जा सकता है। जिलेवासियों को कंपनी से निकलने वाले काले डस्ट, धूल के गुबार, फ्लाई ऐश की उड़ती परत से कई तरह की बीमारियां सौगात में मिलते जा रही है। जिससे आज भी इस क्षेत्र के ग्रामीण कई तरह की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं।
ओम श्री रुपेश स्टील के विस्तार की जनसुनवाई के लिए स्थानीय अखबारों में इश्तहार को लेकर कई तरह के संदेह हैं। सूत्रों की मानें तो रूपेश स्टील का किस अखबार में और कब इश्तहार का प्रकाशन कराया गया है इसकी किसी को कानोकान भनक तक नहीं लगी है। मैसर्स रूपेश स्टील द्वारा किए जा रहे क्षमता विस्तार में माइल्ड स्टील बिलेट 28800 टीपीए से 246960 टीपीए, रीरोल्ड स्टील उत्पाद 234612 टीपीए, हॉट चार्जिंग 160512 टीपीए के माध्यम से और रीहीटिंग फर्नेस के माध्यम से 74100 टीपीए, एमएस पाइप 122600 टीपीए, ब्राउनफील्ड प्रोजेक्ट शामिल है।
एक जानकारी के मुताबिक गत विधानसभा चुनाव में कांगे्रस से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले शंकरलाल अग्रवाल ने ओपी चैधरी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरते हुए उन्हें चुनौती दी थी। इस दौरान शंकरलाल अग्रवाल ने अपने दौरे के दौरान कई जगहों में कहा था कि भाजपा और कांग्रेस दूसरे और तीसरे स्थान के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। मगर चुनाव परिणाम कुछ अलग रहा और कांगे्रस से बागी होकर चुनाव लड रहे शंकरलाल अग्रवाल को 2 हजार वोट तक नही मिले।
ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि कांगे्रस के बागी होकर चुनाव लड़ने वाले नेता को अपनी कंपनी विस्तार में भाजपा और कांगे्रस दोनों ही पार्टियों का समर्थन मिल रहा है और यही वजह है कि दोनों ही पार्टियों के द्वारा इसका अब तक खुलकर विरोध नही किया जा रहा है।