नई दिल्ली, 20 जनवरी, 2024: इस्पात मंत्रालय, भारत सरकार ने श्री वी.एस. चक्रवर्ती, निदेशक (वाणिज्यिक), सेल और श्री ए.के. तुलसियानी, निदेशक (वित्त), सेल को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया। इसके अलावा, इस्पात मंत्रालय के निर्देशों का पालन करते हुए, सेल ने कंपनी के बोर्ड स्तर से नीचे के 26 अधिकारियों को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। मामला लोकपाल के निर्देशानुसार की जा रही कुछ जांचों से जुड़ा है।
इस मामले पर टिप्पणी करते हुए, सेल के अध्यक्ष, अमरेंदु प्रकाश ने कहा, “कंपनी का कारोबार सामान्य रूप से चल रहा है और इसका कंपनी के प्रदर्शन पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। हम कॉर्पोरेट प्रशासन और नैतिक आचरण के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए समर्पित हैं।” सेल गुणवत्ता और ग्राहक संतुष्टि पर ध्यान केंद्रित करते हुए उद्योग में मजबूती से खड़ा है।”
ज्ञातव्य हो कि लोकपाल ने तत्कालीन सेल चेयरमैन सहित दो एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (ईडी) के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। मामला राष्ट्र हित से जुड़े महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए मटेरियल की डिमांड बताकर निजी कंपनी को सेल उत्पाद कम दाम पर बेचे जाने का है। जिसके कारण कंपनी को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ। लोकपाल ने सीबीआई से मामले की जांच कर 6 महीने में रिपोर्ट नस्तुत करने कहा है।
राष्ट्रीय हित से जुड़े योजनाओं के लिए सेल द्वारा दाम पर मटेरियल उपलब्ध सेल की पूर्व चेयरमैन सहित 3 अफसरों के खिलाफ सीबीआई जांच करेगी, छह महीने में रिपोर्ट देगी तैयार किए और कराए जाने का मामला वर्ष 2020 से 2023 के बीच का है। सप्लाई करने वाली फमों में वेंकट इंफ्रा, एवन और हाई टेक शामिल हैं। जिन्हें सेल ने अलग-अलग पीरियड में टीएमटी, स्पेशल ग्रेड की प्लेट आदि की सप्लाई की।
इसी दौरान लोकपाल में यह शिकायत की गई कि सेल ने जिन फर्मों को राष्ट्रीय हित से जुड़े परियोजनाओं के लिए कम दाम पर अपने उत्पादों को बेचा, उसकी हकीकत यह है कि देश भर में वैसी परियोजना पर काम ही नहीं चल रहा था। चूंकि सेल देश की महत्वपूर्ण परियोजनाओं को कम दाम पर उत्पाद बेचता है
इसके लिए उन फमों ने फर्जी दस्तावेज सेल के साथ एमओयू किया। इसके बाद उन फर्मों को जब उत्पाद मिल गया तो उसे ओपन मार्केट में प्रचलित दरों पर बेच दिया जो कि खरीदी दाम कहीं अधिक थे। ऐसा कर फर्मों ने करोड़ों कमा लिए वहीं सेल और देश को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। शिकायत मिलने पर लोकपाल ने फमों से जुड़े लोगों के बयान भी ले लिए।
जिसमें तत्कालीन सेल चेयरमैन और दो ईडी की संदिग्ध भूमिका सामने आने के बाद लोकपाल ने मामले की जांच सीबीआई से कराने का निर्णय लिया। साथ ही आदेश की प्रति को लोकपाल के वेब साइट में अपलोड भी कर दिया।