बहुत जल्द हो सकती है घोषणा
रायगढ़ टॉप न्यूज 1 सितंबर 2023। छत्तीसगढ़ चुनाव को लेकर गहमागहमी शुरू है और भाजपा ने 21 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर दिया है और लगभग 42 सीटों की घोषणा बहुत जल्द होनी है। बताया जाता है कि इसमें रायगढ़ का भी नाम शामिल है और यहां से पूर्व आईएएस व भाजपा के कद्दावर नेता ओपी चैधरी का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। उनके समर्थकों ने इसकी बकायदा तैयारी भी शुरू कर दी है।
2018 के विधान सभा चुनाव से पहले कलेक्टरी छोड़कर सबको चैंकाते हुए ओपी चैधरी ने भाजपा ज्वाइन किया था और कांग्रेस का अजेय गढ़ माना जाने वाला विधानसभा क्षेत्र खरसिया से धांसू एंट्री की थी। कांग्रेस का गढ़ माना जाने वाला खरसिया, जहां से कांग्रेस एकतरफा जीतती थी वहां अचानक भूचाल आ गया और कांग्रेस की सीट खिसकती नजर आने लगी। इस सीट पर हार जीत के लिए दांव खेले जाने लगे और सट्टा बाजार ने भी इस स्थिति का भरपूर फायदा उठाया। इस सीट पर मतदाता बुरी तरह बांट गए थे। इसे पहले 32 हजार वोटों से चुनाव जीतने वाले उमेश पटेल हराने के कगार पर पहुंच गए थे। उनके साथ बड़ा जनसमूह था लेकिन चुनाव और क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है और इस चुनाव के परिणाम अंतिम में बदल गए।
दरअसल ओपी चैधरी बुद्धिमान, तेज और मंजे हुए अधिकारी तो थे लेकिन राजनीति के दांव पेंच से अनभिज्ञ थे। इसमें कौन सी बात का क्या अर्थ निकाल लिया जाएगा इससे परिचित नहीं थे। ऐसे में उनके एक बयान कहर बनकर टूटूंगा और एक कांग्रेसी कार्यकर्ता से झड़प को विरोधियों ने हवा दे दी और कहा जाता है कि ये दोनों बातें ओपी चैधरी के विरुद्ध गई और खरसिया की सीट इनके हाथ से निकल गई। वहां इन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन इस बार राजनीति का 5 साल का अनुभव भी है।
रायगढ़ सीट कितना सुरक्षित
वैसे रायगढ़ सीट 2003 से चेहरे बदलने के लिए जाना जाता है। 2003 के बाद कोई भी विधायक दुबारा नहीं चुना जा सका। 2018 के चुनाव में प्रकाश नायक यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार बने और त्रिकोणीय संघर्ष में उन्होंने लगभग 16 हजार मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। इसके बाद लोकसभा चुनाव में रायगढ़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने भारी अंतर से लीड लिया था। हालांकि बाद में हुए नगर निगम चुनाव और जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा। कांग्रेस में बिखराव की बात कही जा रही है लेकिन यदि ओपी चैधरी चुनाव लड़ते हैं तब परिस्थितियां बदल सकती हैं। हालांकि अभी कांग्रेस ने यहां की टिकट फाइनल नहीं की है लेकिन कांग्रेस ओपी चैधरी के नाम से न सिर्फ एकजुट होने लगी है बल्कि आक्रामक तेवर दिखाने को भी तैयार है, ओपी चैधरी के चुनाव लडने से यह सीट हॉट सीट बन जायेगी और कांग्रेस आलाकमान के अनुशासन का डंडा भी चलेगा ताकि पार्टी एकजुट दिखे। कांग्रेस भी ओपी चैधरी के खिलाफ अलग से रणनीति बनाएगी। हालांकि बातचीत में कोई कांग्रेसी ओपी चैधरी को पार्टी के लिए बड़ा थ्रेट अभी मानने को तैयार नहीं है।
रायगढ़ के राजनीति में बड़ा बदलाव
भाजपा ने अब तक रायगढ़ में अग्रवाल समाज को ही नेतृत्व करने दिया है। 2008 से पहले कांग्रेस ने भी कुछेक अपवादों को छोड़कर इन्हें नेतृत्व के लिए आगे बढ़ाया था लेकिन 2008 में कांग्रेस में यह परंपरा टूट गई तो यह समाज लगभग पूरी तरह भाजपा की ओर चला गया। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में ओपी चैधरी के आने के बाद इस समाज के हाथ से इस पार्टी का भी ताना बाना निकल जायेगा। रायगढ़ की राजनीति में यह एक बड़ा बदलाव है, इसे क्या अग्रवाल समाज स्वीकार कर लेगा ? क्योंकि वैसे भी इनके हाथ में प्रदेश की दो चार सीटें ही रह गई है। ऐसे में ओपी चैधरी के लिए यह सीट कितना सुरक्षित है ? लोगों की मानें तो इनका नेतृत्व फिलहाल अग्रवाल समाज के लोग सहजता से स्वीकार करने की स्थिति में नहीं हैं।
भाजपा में दो फाड़
भाजपा में एक कुनबा ओपी चैधरी को आगे लाना चाहता है और वह इस राजनीतिक परिदृश्य के बड़े बदलाव का साक्षी बनना चाहता है लेकिन एक बड़ा धड़ा इसके लिए तैयार नहीं है। पार्टी के रूप में बाहर से जितनी एकजुटता दिखती हो लेकिन इस मामले पर पार्टी बुरी तरह बंटी हुई है। कुछ दिन पहले आए पर्यवेक्षक के सामने भी कुछ लोगों ने यह बोलकर विरोध किया कि यहां बड़े नेता को टिकट नहीं दिया जाए, हालांकि उसका असर होता नहीं दिख रहा है।
अधिकारी वर्सेज नेता
आम लोगों में यह बात स्प्रेड की जा रही है कि नेता काम करता है अधिकारी नहीं। नेता, नेता चाहता है, अफसर नहीं, यह पंच लाइन कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टी के लोग बोलते दिख रहे हैं। ओपी चैधरी को नेता के बजाए अधिकारी के तौर पर इमेज बनाने की कोशिशें शुरू हो गई है। लोग अजीत जोगी के साथ इनकी तुलना कर रहे हैं, ऐसे में अभी से ओपी चैधरी को इनका काट ढूंढना होगा अन्यथा बहुत कठिन है डगर पनघट की।
बहरहाल कई लोग ऐसे भी हैं वेट एंड वॉच की नीति पर चल रहे हैं। अभी तक कांग्रेस ने कोई पत्ते नहीं खोले हैं। कई लोगों का मानना है कि भाजपा के टिकट की घोषणा के बाद कांग्रेस भी अपनी रणनीति बदल सकती है। हालांकि टिकट की घोषणा के बाद समीकरण का बनना बिगड़ना लगा रहेगा लेकिन ओपी चैधरी कोई सीट पर लड़ाना है तो काफी चैकन्ना रहना होगा क्योंकि यहां यह पता कर पाना मुश्किल होगा कि कौन उनका अपना है और कौन पराया।