रायपुर। छत्तीसगढ़ के बड़े आदिवासी नेताओं में शामिल नंद कुमार साय (Nand kumar Sai Biography in Hindi) को सरकार ने छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम (CSIDC) का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है. साय ने अभी दो महीने पहले (30 अप्रैल) ही भाजपा छोड़कर कांग्रेस प्रवेश किया था. बेहद धार्मिक प्रवृत्ति के साय व्यक्तिगत जीवन में वचन के बेहद पक्के हैं. अपने एक प्रण की वजह से वे पिछले 53 वर्षों से नमक नहीं खा रहे हैं.
यहां हम आपको साय (Nand kumar Sai Biography in Hindi) के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बाते बता रहे हैं. साय ने अपने जीवन की शुरुआत नायब तहसीलदार की नौकरी से की थी. उन्होंने नौकरी छोड़ दी और नेतागिरी को चुना. यह 1970 की बात है. उन्होंने आदिवासी समाज से शराब छोड़ने की अपील की. समाज के लोगों ने तर्क दिया कि जैसे खाने में नमक है, उसी तरह उनके लिए शराब है. साय ने उन्हें कहा कि यदि ऐसा है तो वे नमक खाना छोड़ देते हैं. इसके बाद 53 साल से वे नमक नहीं खा रहे. अब उन्होंने नया प्रण लेकर भाजपा ही छोड़ दी है. आइए जानते हैं उनके बारे में सबकुछ…
जशपुर में जन्में, रायपुर के रविशंकर विवि में की पढ़ाई
नंदकुमार साय (Nand kumar Sai Biography in Hindi) का जन्म एक जनवरी 1946 को छत्तीसगढ़ के वर्तमान जशपुर जिले के भगोरा गांव में हुआ. उनके जन्म के समय यह गांव रायगढ़ जिले में आता था. उनके पिता का नाम लिखन साय और माता का नाम रूपिनी देवी है. उन्होंने पंडित रविशंकर यूनिवर्सिटी से संबद्ध एनईएस कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की. यह कॉलेज जशपुर नगर में स्थित है. नंदकुमार साय कृषक परिवार में पैदा हुए हैं. उन्होंने खेती भी की है. वे एनईएस कॉलेज के छात्र संघ अध्यक्ष भी रहे हैं.
सरकारी नौकरी की बजाय राजनीति को चुना
Nand kumar Sai Biography in Hindi साय का चयन नायब तहसीलदार की नौकरी के लिए हुआ था, लेकिन उन्होंने नौकरी के बजाय राजनीति को चुना. वे तीन बार विधायक, तीन बार लोकसभा के सांसद और दो बार राज्यसभा के सांसद रहे. अविभाजित मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के भाजपा अध्यक्ष रहे. छत्तीसगढ़ के पहले नेता प्रतिपक्ष रहे. साथ ही, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी रहे. उन्हें केंद्रीय मंत्री का दर्जा था.
साय प्रारंभ से ही आदिवासी समाज में नशे के विरोधी भी रहे. राजनीति में आने का एक कारण यह भी रहा. नशे के कारण आदिवासी युवाओं की बिगड़ती स्थिति से चिंतित होकर वे जोर-शोर से नशे के विरुद्ध अभियान चलाने लगे. जशपुर के एनईएस कॉलेज में अध्ययन के दौरान वे सन् 1972 से 73 तक कालेज छात्र संघ के अध्यक्ष रहे।
भाजपा से की राजनीति की शुरुआत
साय (Nand kumar Sai Biography in Hindi) 1986 से 1988 तक भाजपा के कार्यकारी सदस्य भी रहे. 1988 से मध्यप्रदेश में भाजपा के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य बने व भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी रहे. 1980 से 82 तक वह रायगढ़ जिले के भाजपा अध्यक्ष भी रहे. 2003 से 2004 तक उन्होंने भाजपा छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष के रूप में काम किया. अविभाजित मध्यप्रदेश में भाजपा के महासचिव भी रहे.
जशपुर की तपकरा सीट से पहली बार बने विधायक
साय पहली बार वे जशपुर जिले के तपकरा विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए. 1985 में दूसरी बार और 1998 में तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने. साय (Nand kumar Sai Biography in Hindi) 1989 और 1996 में रायगढ़ लोकसभा सीट से सांसद चुने गए. इसके बाद जब मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ बनने पर वर्ष 2004 में सरगुजा से सांसद बने. वे 1997 से 2000 तक अविभाजित मध्य प्रदेश के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहे. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद वह प्रथम नेता प्रतिपक्ष रहे. इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जमकर खिलाफत की. 2003 में छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में उन्होंने प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के खिलाफ मरवाही विधानसभा से चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था. उसके अगले ही साल 2004 में सरगुजा से लोकसभा सांसद बने. 1989 में पहली बार 1996 में दूसरी बार व 2004 में तीसरी बार लोकसभा सांसद निर्वाचित हुए थे.
तीन बेटे और चार बेटियां के पिता हैं साय
साय (Nand kumar Sai Biography in Hindi) हिंदी व संस्कृत पठन-पाठन में रुचि लेने वाले साय 1973 में नायब तहसीलदार पद के लिए चयनित हुए पर उन्होंने समाज सेवा चुना. 2009 में वे राज्यसभा सांसद निर्वाचित हुए. मोदी सरकार ने उन्हें 2017 में अनुसूचित जनजाति आयोग का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया. उनके तीन बेटे और चार बेटियां हैं.