Raigarh News : रायगढ़ में हर साल 25 प्रतिशत बढ़ रही है बिजली की डिमांड…मेडिकल कालेज बोईरडीह के पास बन रहा एक और सब स्टेशन…जोन टू में बिजली आपूर्ति नियमित रखने की कवायद

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रायगढ़ टॉप न्यूज 22 जून 2023। फरवरी में 40 तो मई-जून में हो जाता है 80 मेगावाट लोड, पेड़, गाज और फ्लैक्स बिजली कटौती के कारण,10 साल में 5 गुना बढ़ा बिजली विभाग का इंफ्रास्ट्रक्चरपानी गिरेगा नाममात्र भर लाइट गोल होगी रातभर, हल्की आंधी से घंटों लाइट गुल जैसे मुहावरे लोगों की जुबां पर हैं। क्या वाकई बिजली विभाग इस दिशा में कुछ नहीं कर रहा है। चुनावी साल में उपभोक्ताओं को परेशान करने का कोई षड्यंत्र तो नहीं?

इन्हीं सब बातों पर हमनें बिजली विभाग और लोगों से बात की, दावों और शिकायतों में काफी अंतर मिला। बिजली विभाग से मिली जानकारी के अनुसार हर साल 5 प्रतिशत की दर से उपभोक्ता बढ़ रहे हैं पर बिजली खपत 25 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। फरवरी माह में शहर का बिजली का लोड जो एक समय पर 40 मेगावाट होता है वह मई-जून में 80 मेगावाट तक पहुंच जाता है। शहरी क्षेत्र में 55,000 उपभोक्ता हैं। फीडर के माध्यम से उपभोक्ताओं तक बिजली पहुंचाने में दिक्कत नहीं है डिमांड के अनुरूप सप्लाई भी है। लेकिन कई मर्तबे देखा जाता है कि जनरेश और ट्रांसमिशन के छोर से भी बिजली सप्लाई बाधित होती है।























बिजली विभाग के कार्यपालन यंत्री सुनील कुमार साहू बताते हैं कि बीते 10 साल में रायगढ़ बिजली के क्षेत्र में अपनी आधारभूत संरचना को 5 गुना तक बढ़ा चुका है। जहां पहले करीब 500 ट्रांसफॉर्मर थे अब 1453 हैं, 33ध्11 केवी के 6 सब स्टेशन 17 हो गए हैं। फीडर की संख्या 10 से 57 हो गई है। 33 केवी की लाइन 90 किमी, 11 केवी की लाइन 917 किमी और लो ट्रांसमिशन यानी एलटी जिससे हमारे घरों तक बिजली आती है वह 3700 किलोमीटर बिछी है यानी पूरे शहरी क्षेत्र में करीब 4800 किलोमीटर के बिजली का तार बिछा है जिसकी निगरानी विभाग करता है। शहर में जिन जगहों से बिजली के तार गए हैं वहां पेड़ों की अधिकता है, हम छंटनी भी करते हैं लेकिन आंधी के कारण तारों को नुकसान हो जाता है जिससे बिजली सप्लाई बाधित हो जाती है।

उन्होंने बताया “ कोतरा रोड स्थित सब-स्टेशन से पूरे शहर में बिजली की सप्लाई होती है। यहां कोई समस्या होती है तो वह ट्रांसमिशन वाले देखते हैं। यहां से जब बिजली निकलकर आती है तो हमारा कार्यक्षेत्र शुरू हो जाता है। यहां से मेडिकल कॉलेज रोड तक बिजली का आपूर्ति करने में लाइन लॉस और मेंटेनेंस में दिक्कत होती है इसलिए मेडिकल कॉलेज के समीप बोईरडीह में 132-33 केवी का एक और सब-स्टेशन इस दिवाली तक पूरा हो जाएगा। जिससे जोन-2 में बिजली निर्बाध रूप से सप्लाई हो सकेगी।

ऐसे पहुंचती है आपके घर बिजली
शहर में उपभोक्ताओं के पास बिजली पहुंचने से पहले वह ग्रिड से कोतरा रोड स्थित सब-स्टेशन पहुंचती है। 33 केवी लाइनें सब-स्टेशन तक पहुंचती हैं, जहां ट्रांसफार्मर इसे 11,000 वोल्ट में बदल देते हैं। यह 11 केवी का करंट आपके क्षेत्र में लगे छोटे ट्रांसफार्मर तक पहुंचता है, जहां करंट को घटाकर 440 वोल्ट कर दिया जाता है। फिर यह 440 वोल्ट का करंट तारों के माध्यम से आपके घर तक पहुंचता है। फिर यह दो चरणों में विभाजित हो जाता है। हम अपने घरों में अपने उपकरणों को चलाने के लिए 220 वोल्ट का करंट उपयोग करते हैं।
क्यों होती है बिजली गुल
सड़क पर नजर आने वाले बिजली के तार के माध्यम से ही बिजली ट्रांसमिशन होता है। (करीब 4800 किलोमीटर तारों का जाल) बारिश के दौरान बिजली गिरने की घटनाओं को देखते हुए एहतियातन ग्रिड से सब-स्टेशन तक बिजली का ट्रांसमिशन रोक दिया जाता है। पावर सप्लाई अवरुध होने से हमारे घरों तक बिजली नहीं पहुंच पाती। बिजली के तार कई जगह से क्षतिग्रस्त होते हैं, इन तार में हाई वोलटेज बिजली दौड़ती है। बारिश के दौरान बिजली के तार टूटने की संभावना बनी रहती है, तेज हवा चलने से अगर तार का क्षतिग्रस्त हिस्सा किसी सामान या व्यक्ति पर गिरता है तो समस्या खड़ी हो सकती है। देर तक हुई बारिश में तार का इंसुलेशन भी प्रभावित होता है जिसकी वजह से फ्यूज उड़ने और पावर कट होने की समस्या होती है। अगर तार पर पेड़ गिर जाए तो तार क्षतिग्रस्त हो सकता है, ऐसे तार के संपर्क में आने से हादसा हो सकता है।

वहीं तूफान के कारण ट्रांसमिशन लाइनें टूट जाती हैं या उन पर पेड़ों की शाखाएं गिर जाती हैं। जैसे ही लाइनों में करंट के प्रवाह में रुकावट आती है, हाई वोल्टेज करंट उत्पन्न होता है जो खंभों पर लगे जंपर्स और इंसुलेटर को फ्यूज कर देता है। इसी तरह, जब लंबे समय तक बारिश होती है, तो झाड़ियों और स्विच जैसे इन्सुलेशन तत्व क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बिजली कटौती होती है।

जोखिम भरा काम है लाइनमैन का
बिजली विभाग के सब-स्टेशनों में क्षेत्रवार फीडर हैं जो 24 घंटे चालू आपूर्ति की निगरानी करते हैं। जब कोई ट्रांसमिशन लाइन क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो फीडर दिखाता है कि कितने एम्पीयर करंट प्रवाहित हुआ है। यदि करंट 40 एम्पीयर से अधिक है, तो फीडर स्वचालित रूप से बिजली की आपूर्ति बंद कर देता है। इससे आपके क्षेत्र की लाइट बंद हो जाती है। यदि ट्रांसमिशन लाइन क्षतिग्रस्त है, तो लाइनमैन उसे ठीक करता है और लाइन को चार्ज करने के लिए सब-स्टेशन को सूचित करता है। सबस्टेशन से लाइन चार्ज होते ही आपके घरों में बिजली वापस आ जाती है। लाइनमैन का काम बहुत जोखिम भरा होता है। कभी-कभी ये लोग करंट लगने जैसी दुर्घटनाओं का भी शिकार हो जाते हैं। कभी-कभी ट्रांसमिशन लाइनें ऐसी जगहों से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जहां लाइन मैन की टीम को काफी मेहनत करनी पड़ती है। जल्द बिजली की बहाली के दबाव में यदि लाइनमैन आ जाएं तो दुर्घटना की संभावना और बढ़ जाती है।



































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