नई दिल्ली। देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज 20 जून को अपना 65वां जन्मदिन मना रही हैं. उन्होंने 25 जुलाई 2022 को भारत के 15वें राष्ट्रपति का पद गृहण किया था. राष्ट्रपति मुर्मू का भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद को संभालना कई मायनों में खास था. वह देश की राष्ट्रपति बनने वाली पहली आदिवासी और दूसरी महिला थीं. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति मुर्मू को उनके जन्मदिन पर बधाई दी है.
ओडिशा के मयूरभंज जिले के रायरंगपुर की एक आदिवासी नेता, द्रौपदी मुर्मू अपने विनम्र स्वभाव के लिए जानी जाती हैं. मुर्मू का जन्म 20 जून, 1958 को हुआ था. अपने दृण संकल्प और कड़ी मेहनत के बल पर उन्होंने राजनीति में अपनी जगह बनाई और संताली गांव से राष्ट्रपति भवन तक का सफर पूरा किया.
व्यक्तिगत जीवन
द्रौपदी मुर्मू का जन्म मयूरभंज जिले के उपरबेड़ा गांव में एक संताली आदिवासी परिवार में हुआ था. उनके पिता और दादा दोनों ग्राम प्रधान थे. उनकी शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई जो एक बैंकर थे. वर्ष 2014 में उनके पति की मृत्यु हो गई. इसके बाद उनके दोनों बेटों की भी मृत्यु हो गई. अपने व्यक्तिगत जीवन में त्रासदी झेलने के बावजूद, उन्होंने अपनी इकलौती बेटी को अच्छी शिक्षा दिलाई. आज वह एक बैंक ऑफिसर हैं.
एजुकेशन
मुर्मू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उपरबेड़ा के एक स्थानीय प्राथमिक विद्यालय से पूरी की. इसके बाद वह उच्च शिक्षा के लिए राज्य की राजधानी भुवनेश्वर चली गईं. उन्होंने अपनी माध्यमिक शिक्षा एक बालिका विद्यालय से पूरी की और बाद में उत्कल विश्वविद्यालय के तहत रमा देवी महिला कॉलेज से BA की डिग्री हासिल की.
राजनैतिक जीवन
राजनीति में आने से पहले उन्होंने 1979 से 1983 तक राज्य सिंचाई और बिजली विभाग में एक क्लर्क के रूप में काम किया था. बाद में, 1994 से 1997 तक अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर, रायरंगपुर में एक शिक्षक के रूप में काम किया. इसके बाद वह राजनीति में सक्रिय हुईं और 2000 से 2009 तक उन्होंने रायरंगपुर विधानसभा क्षेत्र से ओडिशा विधान सभा के सदस्य के रूप में और 2000 से 2004 तक ओडिशा सरकार के राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया. इसके बाद उन्होंने 2015 से 2021 तक झारखंड के 8वें राज्यपाल के रूप में कार्य किया. जुलाई 2022 में उन्होंने देश के सर्वोच्च पद का कार्यभार संभाला.