आज होगी केलो महाआरती और दीपदान
शहर की 04 गोबर खरीदी केंद्र में बनाई जा रही है आकर्षक दीया
रायगढ़ टॉप न्यूज 2 जून 2023। 3 जून को होने वाली केलो महाआरती और दीपदान में रंग बिरंगी गोबर से बनी दीपक की रौशनी से केला मइया जगमगाएगी। आस्था और शुद्धता की प्रतीक गोबर से बनी यह रंग बिरंगी दीप आकर्षक होगी। खास बात यह है कि गोबर से बनी यह रंगीन दीये पानी में तैरती हुई अपनी रंगीन रौशनी बिखेरकर रायगढ़ शहर को रौशन करेगी।
1 से 3 जून तक शहर के रामलीला मैदान में राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन होगा। कार्यक्रम के अंतिम दिन 03 जून को माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं अतिथियों द्वारा केलो महाआरती एवं दीपदान किया जाएगा। महाआरती और दीपदान के लिए कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के निर्देशन और निगम कमिश्नर संबित मिश्रा के मार्गदर्शन में स्वच्छता दीदियों द्वारा गोबर के रंग बिरंगी दीपक निर्मित की जा रही है। शहर के चार एसएलआरएम सेंटर सह गोबर खरीदी केंद्रों में गोबर की दीप वहां कार्यरत स्वच्छता दीदियों द्वारा बनाई जा रही है। गोबर खरीदी केंद्र बाझिनपाली, ट्रांसपोर्ट नगर, आशीर्वादपुरम में कार्यरत 80 से ज्यादा स्वच्छता दीदियों द्वारा आकर्षक और रंग बिरंगी दीपक बनाई जा रही है। स्वच्छता दीदियों द्वारा पूर्व में भी दीपावली के समय ऐसे ही आकर्षक रंग बिरंगी दीपक की बिक्री की गई थी। आस्था और शुद्धता की प्रतीक के रूप में गोबर से बनी दीपक का अलग ही महत्व है। स्वच्छता दीदियों द्वारा सबसे पहले दीपक के सांचे पर गोबर के लेप डाले जाते हैं। सांचे से कच्चे दीपक को धूप में अच्छी तरह सुखाया जाता है। इसके बाद सूखे हुए दीपों को विभिन्न डिजाइन और रंगों से रूप देकर रंगीन और आकर्षक बनाई जा रही है। राष्ट्रीय रामायण महोत्सव में आयोजित केलो महाआरती और दीपदान के लिए स्वच्छता दीदियों द्वारा हरा, नीला, पीला, लाल, गुलाबी, बहुरंगी आकर्षक दीपक निर्मित करने का कार्य सुबह से शाम तक किया जा रहा है।
2 हजार दीपक का हो गया है निर्माण
चार गोबर खरीदी केंद्र सह एसएलआरएम सेंटर में 2000 दीपक स्वच्छता दीदियों द्वारा बनाई गई है। वर्तमान स्थिति में पूरी संख्या में दीपक निर्मित हो गई है। निर्मित दीपक को अंतिम फिनिसिंग कर रंगीन आकर्षक रूप दिया जा रहा है। इसके लिए निगम कमिश्नर संबित मिश्रा द्वारा लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है।
पानी में तैरेगी दीप, रौशनी से नहाएगी केलो
मिट्टी के दीये भारी होती है। इसलिए मिट्टी के दीये पानी में सीधे तौर पर दीपदान करने पर वह डूब जाती है, लेकिन गोबर से बनी दीप हल्की रहती है और दीपदान करने पर यह रोशनी देती हुई पानी में तैरती है। इससे जाहिर है कि एक साथ 2000 रंग बिरंगी दीपो के दीपदान और समग्र दीपो के संगम से सरस सलिल केलो मइया रंगीन रौशनी से नहाएगी, जो हर निगाह से आकर्षण का केंद्र होगा।