रायगढ़ टॉप न्यूज 2 जून 2023। राजनैतिक गलियारों में ओपी चौधरी का व्यक्तित्व शोध का विषय बन गया है….वर्तमान को देख जब ओपी के जीवन से जुड़े अतीत के पन्नो को खोलेंगे तो हर पन्ना उनके साहसिक निर्णयों से भरा हुआ नजर आएगा….आम जनता के मध्य हारे हुए व्यक्ति की मुख्यमंत्री बनने की जन चर्चा हो तब उनकी लोकप्रियता का अंदाज सहज लगाया जा सकता है। छग गठन के बाद दोनो राजनैतिक दलों में ओपी चौधरी प्रदेश के सबसे लोकप्रिय नेताओ में सबसे ऊपर है। उनके जीवन से जुड़ी किताब का पहला पन्ना खोले तो उसमे पिता की मृत्यु से जुड़े दुख विषाद के क्षण नजर आएंगे। ओपी ने इन आंसुओ को व्यर्थ में नही बहाया बल्कि दुख के प्रतीक इन आंसुओ को उन्होंने खुशी के आंसुओ में बदलने का ठोस निर्णय लिया। दो दशक पहले जब हमारा प्रदेश पृथक होकर अस्तित्व में आया इस दौरान ओपी चौधरी में पिता की मृत्यु पर सरकारी अनुकम्पा से मिल रही नौकरी को त्यागने का विचित्र निर्णय लिया और अपने जीवन को सफलता का शीर्षक बनाने में जी जान से जुट गए। प्रदेश के पहले चयनित कलेक्टर बने और प्रदेश के नक्सली क्षेत्र बस्तर में कलेक्टर का पद मांग कर सूबे के मुखिया रमन सिंह को चौकाया। अशिक्षा की वजह से बस्तर का क्षेत्र बीहड़ों के गहन अंधकार में डूबा रहा नक्सलियों की गोली के निशाने पर रहने वाले ओपी ने अपने सोने के कमरे के ऊपर एक बंकर बनाया यदि देर रात नक्सली हमला हो जाए तो बंकर में सुरक्षित रह सके। जब लोग चैन की नींद सोते तो ओपी चौधरी सारी रात जागते और नक्सल के घोर अन्धकार को उन्होंने शिक्षा के आलोक के जरिए दूर किया…नन्हे परिंदे छू लो आसमान जैसी परियोजनाओं के जरिए उन्होंने बस्तर के आदिवासी के बच्चो को शिक्षा से जोड़ा ताकि उनकी आने वाली पीढ़ी विकास की मुख्यधारा से जुड़ सके। कलेक्टर का पद सोने का सिंहासन माना जाता है इसे त्यागने वाले ओपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अमित शाह के समक्ष छग भाजपा में प्रवेश किया l खरसिया विधान सभा की माटी को नँदकुमार पटेल जी ने कुछ इस तरह से उपजाऊ बना दिया कि जब भी कोई कांग्रेसी यहां खेती करेगी तो परिमाण स्वरूप वोटो की लहलहाती फसल आराम से काट सकता है l कुल जमा खरसिया चुनाव का परिणाम कांग्रेस के पक्ष में जाना सुनिश्चित है। पहला कठिन निर्णय अनुकंपा नियुक्ति के जरिए सरकारी नौकरी की बजाय पढ़कर कलेक्टर बनने का निर्णय कलेक्टर बनने के बाद इस सेवा को छोड़ना राजनैतिक दल से जुड़ना उनका दूसरा कठिन निर्णय रहा। भाजपा ज्वाइन करते हुए ओपी चौधरी ने पहला चुनाव जन्मभूमि खरसिया से लड़ने की घोषणा कर तीसरा कठिन निर्णय लिया। भाजपा से ओपी की दावेदारी होने पर खरसिया चुनाव दिलचस्प हो गया और जब तक चुनाव परिणाम आया कांग्रेस का हलक सूखा रहा। ओपी खरसिया चुनाव हार कर भी दिल जीतने वाले बाजीगर बन गए l हार नही मानूंगा राह नई ठानूंगा ओपी की हार कांग्रेस की भूपेश सरकार के लिए सरदर्द साबित हुई । 2018 का छग विधान सभा चुनाव परिणाम भाजपा के लिए मूर्छित करने वाला रहा l ओपी इससे अछूते कैसे रह सकते थे उसके बावजूद उन्होंने भाजपा को सर्वाधिक वोट दिलाए। भाजपा को संजीवनी की जरूरत थी और ओपी प्रदेश भाजपा के लिए सही मायने में संजीवनी साबित हुए।प्रदेश के एक छोर जशपुर जहां बीहड़ जंगलों के मध्य आदिवासी बसते है ।दूसरे छोर में मौजूद नक्सल इलाके बस्तर जहां नक्सलियों की गोली दिन रात चलती है। जशपुर से लेकर बस्तर सरगुजा तक धुंआधार दौरे की शुरुवात कर ओपी चौधरी ने बतौर सशक्त विपक्ष जनता के मध्य एक भरोसा जगाया। भूपेश सरकार को हर मोर्चे पर घेरने की वजह से वे सत्ता की आंखों के किरकरी बन गए ओपी की आवाज दबाने बहुतेरे प्रयास हुए कोल माफियाओं के खिलाफ आवाज उठाने के मामले में कोरबा में उनके खिलाफ गैर जमानती अपराध पंजीबद्ध किया गया। छग की राजनीति में पहले चूनाव के दौरान कांग्रेस से स्वर्गीय अजीत जोगी व भाजपा से स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव प्रदेश स्तर के लोकप्रिय नेता हुए जीते जी उनकी दमदारी का लोहा प्रदेश मानता रहा। दोनो नेताओ के निधन के बाद राजनैतिक दलों में बड़ी शून्यता आ गई। जिसे भर पाना कठिन माना जा रहा था लेकिन बतौर विपक्ष ओपी की कार्यशैली प्रदेश स्तर के राजनैतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन रही है l दोनो दलों को जोड़कर ओपी सर्वाधिक चर्चा में रहने वाले नेता के रूप में स्थापित हो गए l सोशल मंच में उनकी सक्रियता राजनीति में बदलते दौर की गवाह है। खरसिया चुनाव में हार के बाद भी रायगढ़ चंद्रपुर से लड़ने की सर्वाधिक चर्चा ओपी चौधरी की है उनकी लोकप्रियता के का पैमाना इस बात से भी तय होता है कि सत्ता धारी अभी से ओपी की संभावित दावेदारी को लेकर भयभीत नजर आ रहा है ।शिक्षा के क्षेत्र में किए गए बड़े सुधारो को केंद्र में यूपीए की मनमोहन सरकार ने सराहा औऱ ओपी चौधरी को सम्मानित भी किया l वही भाजपा की रमन सरकार ने भी ओपी की काबलियत का लोहा माना और उनके द्वारा सुझाए गए लाइवलीहुड मॉडल को प्रदेश स्तर पर मजबूती से लागू किया। कौशल प्रशिक्षण योजना के मॉडल को केंद्र सरकार ने भी लागू किया l बतौर कलेक्टर ओपी का लक्ष्य सिर्फ यही रहा कि उनके स्तुत्य कार्यो का बड़ा लाभ शोषित व वंचित वर्ग को मिले l ओपी का यह चिन्तन रहा कि छग में शिक्षा व रोजगार की अपार संभावनाएं छिपी है और इस दिशा में राजनैतिक प्रयास शून्य रहे वे शिक्षा के जरिये पूरी पीढ़ी को शिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाना चाहते है ताकि रोजगार मिलने पर वे किसी पर निर्भर न रहे l राजनीति से परे शिक्षा के प्रति उनका नजरिया प्रदेश के यूथ वर्ग के आकर्षण का बड़ा कारण बना lखरसिया चुनाव की हार उनके अंदर छिपी हुई प्रतिभा को प्रदेश स्तर पर निखारने में मददगार साबित हुई l बस्तर से लेकर सरगुजा जशपुर तक उनका धुंआ धार दौरा जहाँ युवाओ को राजनीति के प्रति आकर्षित कर रहा वही राजनीति के मैदान का यह कुशल बल्लेबाज प्रदेश की राजनीति का ऐसा यूथ आइकॉन बना जिसकी राजनीति में सबसे अधिक स्वीकार्यता होने लगी l दलगत पार्टी की विचारधारा से कोई भी आपकी पहचान सहजता से स्थापित कर सकता है लेकिन व्यक्तिगत विचारधारा व विजन आपको जनता के मध्य स्वीकार्य बनाता है l राजनीति से अलग हट कर शिक्षा के प्रति उनका विजन छग में बड़े राजनैतिक बदलाव का माध्यम बन रहा l इसके साथ पूरे प्रदेश स्तर पर ओपी बतौर विपक्ष अपनी भूमिका बखूबी निभा रहे l
छग कांग्रेस उनके आरोपो पर मौन साध लेती है क्योंकि उनके तरकश में मौजूद आरोपो के तीर के निशाने पर छग सूबे के मुख्यमंत्री भुपेश बघेल की रीति नीतियां है l सत्ता की हर कमियों को तर्कों के साथ आम जनता के सामने रखने में ओपी कामयाब हो रहे है l ओपी को सुनने जानने मानने वालो की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा । जीवन के रहस्यों को समझने के लिए राजपाट का सिंहासन का त्याग कर जंगलों की खाक आवश्यक है बुद्ध इसकी मिशाल माने जाते है।बुद्ध ने राजनीति से परे जनता के समक्ष त्याग और शांति का जो दर्शन रखा उसकी दुजी मिशाल पूरे विश्व में नही है। उस दौर में भी सामाजिक व राजनैतिक हिंसा चरम पर रही होगी l बुद्ध के दर्शन का युद्ध के मैदान में भी बड़ा प्रभाव पड़ा l उनका दर्शन आम जनमानस के साथ विरोधियों को भी स्वीकार्य रहा l ओपी की राजनैतिक शालीनता भी बुद्ध के दर्शन से मेल खाती है जिसमे परंपरा वादी राजनैतिक मिथक को तोड़ बदलाव की झलक नजर आती है। छग की राजनीति में ओपी बदलाव के बडे माध्यम होंगे छग राजनीति की शतरंजी बिसात में आशा और विश्वास की चाल सहारे भाजपा का यह प्यादा शक्तिशाली वजीर बनकर सारे मिथकों को बदलेगा।
ओपी के जन्मदिन पर बधाई देने रायगढ़ चंद्रपुर विधान सभा वासियों की लगी कतार
प्रदेश भाजपा महामंत्री ओपी चौधरी के बायंग स्थित केला बाड़ी में जन्मदिन की बधाई देने देर रात से प्रदेश भर के समर्थको का हुजूम एकत्र होना शुरू हो गया वही सोशल मंच में भी प्रदेश भर से संगठन के पदाधिकारियों सहित नेताओ ने अपने लाडले नेता को बधाई दी। सोशल मंच आज ओपी जन्मदिन के बधाई से भरा नजर आया। देर रात समर्थको ने केक काटा पटाखे फोड़े और ओपी चौधरी को जन्मदिन के अवसर पर बधाई दी। प्रातः सूर्योदय के साथ रायगढ़ एवम चंद्रपुर विधान सभा के समर्थको की भीड़ जुटनी शुरू हो गई जो देर रात चलती रही।
रायपुर बिलासपुर रायगढ़ जांजगीर सारंगढ़ चंद्रपुर कोरबा मरवाही पेंड्रा सहित अन्य विधान सभा के संगठन से जुड़े पदाधिकारियों ने भी केला बाड़ी पहुंच कर भाजपा नेता को केक काटकर जन्मदिन की बधाई दी। प्रदेश भाजपा संगठन से जुड़े पदाधिकारियों भाजपा के विधायको पूर्व विधायको कांग्रेस से जुड़े नेताओ समाजिक संस्थाओं धार्मिक संस्थाओं मीडिया सहित प्रशासनिक अधिकारियों पुलिस अधीक्षक एवक जिलाधिशो ने भी दूरभाष पर ओपी से चर्चा कर उनके जन्मदिन पर सुख शांति समृद्ध जीवन की कामना की।ओपी चौधरी ने जन्मदिन पर सभी शुभचिंतकों से मिले प्यार से अभिभूत होते हुए कहा उनके जीवन का एक एक कतरा छत्तीसगढ़ महतारी के लोगो के कल्याण हेतु समर्पित रहेगा।
जन्मदिन पर भाजपा प्रवेश कर दिया उपहार
सुजित लहरे के अगुवाई में कोतासुरा निवासी लोमश पटेल ने अपने 25 साथियों के साथ ओपी चौधरी को जन्मदिन का उपहार देने उनके समक्ष भाजपा प्रवेश किया । इस अनोखे भेंट को पाकर ओपी अभिभूत हो गए।भाजपा प्रवेश करने वाले युवकों में खुशीराम यादव ,निलम्बर सतनामी,प्रहलाद रजक,दिनेश मालाकार,अमृत यादव ,दुर्योधन यादव,निरंजन बरेठ,हेमसंकर सिदार, दुस्यंंत बरेठ,धनजीत सतनामी,भोजकुमार श्रीवास,मिलन सिदार,गुलशन मालाकार,कैलाश वैष्णव,संदीप यादव,लोकस्वर वैसनव,सचिदानंद सिदार,वेद प्रकाश मालाकार,दिनेश ओगरे,महेश सारथी,पदमन सतनामी मनीष बरेठ,भूपेंद्र यादव शामिल है।
दामिनी से बधाई पाकर अभिभूत हुए ओपी चौधरी
अपने जन्मदिन पर दामिनी के पैरो से केक खाते हुए मिठाई की तस्वीर साझा करते हुए प्रदेश भाजपा महामंत्री ओपी चौधरी ने कहा दामिनी ने मुझे केक खिलाया। तीन साल पहले हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए ओपी के कहा दामिनी के हाथ नही है लेकिन हौसलों की वजह से पैरो से ही हाथो का काम भी कर लेती है। ईश्वर से मिली विकलांगता को अभिशाप मानने की बजाय ईश्वर प्रदत्त शक्तियों को उसने पहचाना और जीवन के क्षणों को खुशियों के पलो में बदला। दामिनी की बनाई पेंटिंग्स को बेजोड़ बताते हुए ओपी ने कहा कई जगहों में दामिनी की बनाई पेंटिंग्स की प्रदर्शनी भी लग चुकी। हर परीक्षा में 80℅ से अधिक अंक लाने वाली दामिनी ने दृढ़ इरादों के जरिए कमजोरियों पर विजय हासिल करते हुए आगे बढ़ने की अदभुत मिशाल पेश की है ।