Raigarh News: माउंट एवरेस्ट फतह कर इतिहास रचने वाली रायगढ़ की बेटी पर्वतारोही याशी जैन पहुंची रायगढ़

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गाजे-बाजे के साथ पुष्प गुच्छ का फूल माला पहनाकर किया गया जोरदार स्वागत
102 डिग्री बुखार होने के बावजूद याशी ने नहीं मानी हार… और रच दिया इतिहास
माइनस 40 डिग्री टेंपरेचर, तेज हवाओं, कठिन राह को पार कर हासिल की कामयाबी
याशी ने कहा एक बेटी ने जो सोचा है उसे करके दिखाया..
याशी के पिता अखिलेश जैन ने कहा हर मां बाप की ऐसी ही बेटिया हो
पढ़ें पूरी खबर याशी ने रायगढ़ पहुंचने के बाद क्या कहा

रायगढ़ टॉप न्यूज 24 मई। विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह कर इतिहास रचने वाली रायगढ़ की बेटी पर्वतारोही याशी जैन बुधवार की शाम अपने घर रायगढ़ पहुंच चुकी है याशी जैन ने रायगढ़ में जैसे ही कदम रखा गाजे-बाजे के साथ पुष्प गुच्छ तथा फूल माला पहचानकर जोरदार स्वागत किया गया। शाम 5 बजे से ही रायगढ़ के दिगम्बर जैन मंदिर में याशी जैन का बड़ी संख्या में गाजे-बाजे पुष्प गुच्छ लेकर बेसब्री से लोग इंतजार कर रहे थे जैसे ही याशी यहां पहुंची उनके परिजनों के खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इतनी बड़ी सफलता हासिल कर रायगढ़ अपने घर लौटने पर याशी को तिलक लगाकर, पुष्प गुच्छ देकर अभिनंदन किया गया। जिसके बाद याशी ने दिगम्बर जैन मंदिर पहुंचकर मत्था टेक कर आशीर्वाद लिया।











पर्वतारोही याशी जैन ने बताया कि माउंट एवरेस्ट के टॉप पर सबसे पहले जब कदम रखा तो बहुत ही खुशी हुई जिसके लिए मैंने जो इतनी सालों से मेहनत की वह पूरा हुआ और माउंट एवरेस्ट फतह करने के बाद मुझे बहुत ही अच्छा लगा साथ ही साथ खुद पर गर्व भी हुआ कि आज जो एक बेटी ने सोचा है उसे करके दिखाया है कल और ऐसी ही कई बेटियां आयेगी ओ भी कर के दिखायेंगी। याशी ने बताया कि 17 मई को सुबह लगभग 6 बजे माउंट एवरेस्ट के टॉप पर पहुंची। यहां मैंने तिरंगा फहराया, साथ ही ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ का परचम फहराया, वहीं बेटी बचाओ का परचम फहराया। याशी ने बताया कि उनका यह अभियान करीब 50 दिनों तक चला। उन्होंने कहा कि कठिनाईयां तो बहुत थी 12 मई को जब बेस कैंप से चढ़ाई शुरू की थी याशी की तबीयत खराब थी उसे 102 डिग्री बुखार था उसके बावजूद याशी ने हार नहीं मानी और अपने संकल्प को पूरा करने आगे बढ़ती गई। साथी ही साथ माइनस 40 डिग्री का टेंपरेचर था। इस टेंपरेचर में चलना बहुत ही कठिन था साथ ही तेज हवायें भी चल रही थी लेकिन याशी ने हार नहीं मानी और सारी कठिनाईयों को पार करते हुए इतिहास रच दिया। इस कामयाबी का श्रेय याशी ने अपने माता-पिता को दिया है। याशी ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी का भी बहुत सहयोग रहा है जाने से पहले मैंने उनसे मुलाकात भी की थी। उन्होंने प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की थी।

वहीं याशी के पिता अखिलेश जैन अपनी बेटी की उपलब्धियों से बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा कि माउंट एवरेस्ट फतह कर बेटी ने मेरा, अपने शहर और अपने प्रदेश का नाम रोशन किया है। उन्होंने कहा कि हर मां बाप की ऐसी ही बेटिया हो जो ऐसे ही नाम रौशन करे। उन्होंने कहा कहा उन्हे पूरा विश्वास था कि याशी माउंट एवरेस्ट फतह जरूर करेगी।

आपको बता दें कि शहर की बेटी याशी जैन ने 17 मई को याशी ने माउंट एवरेस्ट फतह कर इतिहास रच दिया था वहीं 26 घंटे के भीतर ही गुरुवार को याशी ने माउंट लोत्से पर फतेह की। लोत्से विश्व की सबसे ऊंची चोटी है, इसकी ऊंचाई 8 हजार 516 मीटर है। माउंट एवरेस्ट फतह करने का उनका अभियान एक अप्रैल से शुरू हुआ था। उनका यह अभियान 45 दिनों तक चला। आखिरकार उन्होंने यह कारनामा कर दिखाया। 15 सदस्यीय टीम में वे छत्तीसगढ़ से एकमात्र पर्वतारोही थी। याशी ने अपनी कम उम्र मे ही वो कारनामा कर दिखाया है जिसने हर माता पिता का नजरिया अपनी बेटियो के प्रति बदल दिया है । पर्वतारोही याशी ने ईश्वर की कृपा और आपकी प्रार्थनाओ से रायगढ और छत्तीसगढ का मान सम्मान देश प्रदेश मे और बढाया है और वह देश की सबसे कम उम्र की बिटिआ बन गई है जिन्होने मात्र 26 घंटे मे माऊंट एवरेस्ट (विश्व का हाईयेस्ट) और माऊंट लोत्से ( विश्व का चौथा हाईयेस्ट) को फतह कर हमारा महान तिरंगा और बेटी बचाओ का परचम फहराया है ।

 

याशी जैन छत्तीसगढ़ की पहली बिटियां है जिन्होंने तीन महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटी को फतह करके तिरंगा संग बेटी बचाओ का परचम फहराया है। याशी जैन ने 14 फरवरी 2023 दक्षिण अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी पर माउंट अकंकागुआ 6961 मीटर पर फतह किया। दो अक्टूबर 2022 को माउंट किलिमंजारो 5896 मीटर पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की यह अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी है। माउंट एवरेस्ट के दौरान अभियान 2021 मे कैंप 8000 मीटर तक पहुंची। जनवरी 2021 में लोबुचे ईस्ट पीक 6119 मीटर पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की। जनवरी 2020 में आईलैंड पीक नेपाल 6189 मीटर पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की। 2019 में माउंट एल्ब्रस 5642 मीटर यूरोप की सबसे ऊंची चोटी, साल 2018 में हिमालयी क्षेत्र में 6116 मीटर ऊंची माऊंट जोगिन 3 चोटी पर चढ़ाई कर सफलता हासिल कर चुकी है। साहस भरे कारनामों के चलते उन्हे राज्यपाल द्वारा वीरांगना पुरस्कार, शहीद इंदिरा गांधी खेल पुरस्कार, तान्या पुरस्कार समेत कई बड़े पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी है।















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