Raigarh News: रायगढ़ के गजानंद पुरम निवासी पशु पालन विभाग के डॉ पीपी श्रीवास्तव की मुश्किलें बढ़ी, कोर्ट के आदेश के बाद फिर से होगी जांच

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रायगढ़। पशुपालन विभाग में 2012 में हुआ भर्ती घोटाला एक बार फिर से सुर्खियों में है। हाईकोर्ट में दस साल चले प्रकरण पर फैसला आने के बाद दोबारा जांच होने वाली है। कई नए खुलासे भी होते जा रहे हैं। जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक उप संचालक समेत चयन समिति के पांच सदस्य रीवा और सतना के थे। सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। वहीं परीक्षा नियंत्रक के भी कॉपियां जांचने की बात सामने आई है।
रायगढ़ जिले में सरकारी पदों पर भर्तियां हमेशा से गड़बड़ी का शिकार हुई हैं। जिला स्तर पर जिस भी विभाग में भर्ती की गई, विभागीय अफसरों-बाबूओं के रिश्तेदारों ने पद हथियाए हैं। इसके लिए चयन प्रक्रिया को भी बदल दिया गया। पशुपालन विभाग में हुई भर्ती की फाइल दोबारा खुलने जा रही है। स्वच्छकर्ता, परिचारक सह चैकीदार के 32 पदों पर नियुक्ति होनी थी लेकिन तत्कालीन उप संचालक डॉ. एसडी द्विवेदी ने मनमानी करके लिखित परीक्षा लेने का प्रावधान जोड़ दिया।

परीक्षा के बाद 32 के बजाय 42 को ज्वाइनिंग लेटर दे दिए गए। तब एक आवेदक आनंद विकास मेहरा ने नियुक्ति में अनियमितता की शिकायत कलेक्टर रायगढ़ से की। कलेक्टर ने तुरंत जांच के आदेश दिए थे। जांच में पूरी गड़बड़ी सामने आ गई। आंसर शीट में कई आवेदकों को नंबर बढ़ाकर दिए गए। 27 सितंबर 2012 को कलेक्टर ने नियुक्ति को निरस्त कर दिया। इसके खिलाफ 44 लोगों ने अपील की थी।
अब अदालत ने अंतिम फैसला देते हुए कहा कि मामले की एक बार फिर से जांच कराई जाए। जिसकी नियुक्ति गलत तरीके से की गई है, उसे सेवा से हटाया जाए। इस मामले में पूर्व उप संचालक डॉ. एसडी द्विवेदी रिटायरमेंट के दिन ही सस्पेंड हुए थे। चयन समिति के सदस्य डॉ. पीपी श्रीवास्तव, डॉ. शत्रुघ्न सिंह, डॉ. तृप्ति सिंह और डॉ. हितेंद्र कुमार सोनी भी एफआईआर दर्ज होते ही सस्पेंड हो गए थे। लेकिन अब ये चारों मजे से दूसरे जिलों में नौकरी कर रहे हैं। हैरानी की बात है कि कलेक्टर ने जांच की, पुलिस ने एफआईआर दर्ज की, इसके बावजूद इन पर विभागीय जांच तक नहीं बैठी। अब पता चला है कि परीक्षा नियंत्रक डॉ. बीएल गुप्ता के साथ शत्रुघ्न सिंह, तृप्ति सिंह और पीपी श्रीवास्तव रीवा व सतना के रहने वाले थे। ये चारों एकदूसरे से पहले से जुड़े हुए थे। सुनियोजित तरीके से इन चारों ने गड़बड़ी को अंजाम दिया, जिनकी नियुक्ति हुई वे भी कई बाबूओं और कर्मचारियों के रिश्तेदार निकले।

















परीक्षा नियंत्रक ने 310 उत्तर पुस्तिकाओं को जांचा
चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी करने के लिए पूरा प्लान तैयार किया गया। परीक्षा नियंत्रक डॉ. बीएल गुप्ता को बनाया गया था। उनकी जिम्मेदारी थी कि वे सभी उत्तर पुस्तिकाओं पर कोडिंग-डिकोडिंग करें। परीक्षार्थी की पहचान छिपाने के लिए स्टिकर लगाने थे। लेकिन उन्होंने खुद 310 कॉपियां चेक की। इसमें दस आवेदकों का चयन भी हो गया। गोपनीयता ही नहीं रखी गई। अब दोबारा जांच में कई नई खामियां भी उजागर होंगी।





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