Raigarh News: बाबा गुरुबचन सिंह के बलिदान दिवस पर संत निरंकारी मिशन ने किया विशाल रक्तदान शिविर का किया आयोजन, मनाया मानव एकता दिवस

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रायगढ़ टॉप न्यूज 23 अप्रैल। रक्त नालियों में नहीं नाड़ियों में बहना चाहिए बाबा हरदेव सिंह के इस संदेश को जन जन तक पहुंचाने संत निरंकारी मिशन द्वारा बाबा गुरुबचन सिंह के बलिदान दिवस पर प्रत्येक वर्ष 24 अप्रैल का दिन मानव एकता दिवस के रुप में मनाया जाता है।इसी उपलक्ष्य में रविवार को मिशन के सदस्यों द्वारा विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें रक्तदान करने ना केवल पुरुष बल्कि महिलाओं की संख्या भी अधिक रही।

मानव एकता के प्रति सदैव समर्पित रहने वाले संत निरंकारी मिशन द्वारा पूरे विश्व में बाबा गुरबचन सिंह जी के बलिदान(शहादत) को सम्मान देने प्रत्येक वर्ष 24 अप्रैल का दिन मानव एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।जिसके तहत रविवार को सिंधु भवन में रेडक्रॉस सोसायटी के सहयोग से विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया।यह शिविर सुबह 10:30 बजे से 3 बजे तक चला जिसमें तकरीबन 100 लोगों ने रक्तदान करने आवेदन भरे जिनमें से 80 लोगों ने रक्तदान किया।इस शिविर की खास बात ये रही की रक्तदान करने में महिलाओं की संख्या पुरुषों के बराबर रही।इसके अलावा मिशन से जुड़ी आध्यात्मिक किताबों के प्रकाशन के साथ ही लंगर की भी व्यवस्था रखी गई थी।























कौन थे बाबा गुरुबाचन सिंह:- बाबा गुरुबाचन सिंह एक महान संत थे जिन्होंने जनता में आध्यात्मिक जागरूकता के माध्यम से मानव भाईचारे का प्रचार किया। उनकी हत्या के बाद से, पूरी दुनिया में लोग उनके त्याग, बलिदान को सम्मान देने हेतु मानव एकता दिवस मनाते हैं। बाबा गुरबचन सिंह जी का जन्म 10 दिसम्बर 1930 को शहनशाह बाबा अवतार सिंह और माता बुधवंती जी के घर पेशावर (पाकिस्तान)के समीप उन्दार शहर में हुआ। बहुपक्षीय व्यक्तित्व के स्वामी बाबा गुरबचन सिंह जी एक आधुनिक गुरु थे। 24 अप्रैल 1980 की रात को सत्य, प्रेम और शांति के इस मसीहा को कुछ कट्टरपंथियों ने चिरनिद्रा में सुलाकर समस्त निरंकारी जगत को शोक संतप्त कर दिया, परन्तु उक्त स्थिति अधिक देर न रह पाई। बाबा गुरबचन सिंह के पुत्र बाबा हरदेव सिंह महाराज के नेतृत्व में सत्य, प्रेम और शांति का संदेश का प्रचार और भी अधिक तीव्र गति होने लगा। निरंकारी मिशन द्वारा बाबा गुरबचन सिंह जी के पुण्यतिथि 24 अप्रैल को मानव एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। खून नालियों की अपेक्षा नाड़ियों में बहे का संदेश देने के लिए निरंकारी मिशन इस दिन पूरे विश्व में अनेकों रक्तदान शिविरों का आयोजन करता है।



































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