रायगढ़। अपनी बेटी की उम्र की 10 बरस की बच्ची को घर छोड़ने के बहाने तालाब किनारे ले जाकर उसकी आबरू पर हाथ फिराने के शर्मनाक मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आरोप सिद्ध होने पर 40 साल के मनचले मजदूर को 5 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। यही नहीं, मुल्जिम को 25 हजार रुपये के अर्थदंड से भी दंडित किया गया है। न्यायालय सूत्रों के अनुसार मामला खरसिया थाना क्षेत्र के ग्राम नवागांव में नलजल योजना के तहत काम होने पर बिहार के सहरसा जिले के बनगांव थानांतर्गत ग्राम खरा निवासी दिलीप मुखिया आत्मज महावीर (40 वर्ष) सितंबर 2021 में चार मजदूरों के साथ आकर रहता था। विगत 25 अक्टूबर को 10 वर्षीया बालिका अपनी बड़ी मां के घर से देर शाम लगभग रात 7 बजे वापस घर जा रही थी।
इस दौरान दिलीप उसे घर पहुंचाने का झांसा देते हुए माझीमुड़ा तालाब के शिवलिंग पचरी की तरफ ले गया और मुंह दबाते हुए अश्लील हरकतें करने लगा। ऐसे में बालिका किसी तरह वहां से भागकर घर गई और परिजनों को आपबीती बताई। पीड़ित परिवार ने आपसी सलाह मशविरा के बाद थाने की शरण ली तो पुलिस ने दिलीप के खिलाफ धारा 354, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 10 तथा धारा 3 (1) (ब) (आई) अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध कर उसे गिरफ्तार कर केस डायरी न्यायालय में पेश किया।
दूसरी तरफ, फास्ट कोर्ट की विद्वान न्यायाधीश प्रतिभा वर्मा ने पॉक्सो एक्ट के इस संवेदनशील मामले से जुड़े सभी पहलुओं, सबूतों सुर दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद आरोपी प्रमाणित होने पर दिलीप मुखिया को 5 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। इस मामले में शासन को ओर से विशेष लोक अभियोजक मोहन सिंह ठाकुर ने पैरवी की।