छत्तीसगढ़ के बस्तर में 250 साल पुराना प्रदेश का सबसे विशाल पेड़…टहनियों में समाए हुए हैं 9 अलग-अलग प्रजाति के पौधे

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आदिवासी अपनी धरोहर और देवता मानकर करते हैं इसकी पूजा…लोगों के लिए आस्था का केंद्र

 

बस्तर। आपने सैकड़ों साल पुराने पेड़ों को देखा होगा जो आकर्षण का केंद्र होते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के बस्तर में एक ऐसा ढाई सौ साल पुराना पेड़ है जिसमें पेड़ के ऊपर 9 पौधे उग आए हैं और यहां के आदिवासी इस पेड़ को अपनी धरोहर और देवता मानकर इसकी पूजा करते हैं, हर साल वे इस पेड़ के नीचे मेला का आयोजन भी करते हैं, इस बरगद के पेड़ से ग्रामीणों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है, इसलिए वन विभाग ने भी इस पेड़ को पूरी तरह से संरक्षित कर रखा है.
छत्तीसगढ़ के सबसे विशाल पेड़ में शुमार इस पेड़ की खासियत यह है कि एक ही पेड़ के आसपास और इसके ऊपर 9 पौधे उग आए है जो इस पेड़ को देखने आने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है. कोंडागांव जिले के बनिया गांव में मौजूद विशालकाय पेड़ के नीचे हर साल लगने वाले मेले में केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य ओडिशा से भी बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं.और इस पेड़ के साथ-साथ इसके नीचे मौजूद मां शीतला माता के मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं.











देव रूपी पेड़ ग्रामीणों के लिए है आस्था का केंद्र

राजधानी रायपुर से 250 किलोमीटर और कोंडागांव शहर से करीब 15 किलोमीटर पर मौजूद बनियागांव में स्थित यह बरगद का पेड़ जितना खूबसूरत है उतनी ही इसकी महिमा निराली है, इस पेड़ में 9 प्रकार के पेड़ पल रहे हैं और ग्रामीण इसे देव स्वरूप मानकर इसकी पूजा करते हैं, इस पेड़ की खासियत लंबी आयु पूरी कर चुके दूसरे पेड़ों से अलग बनाती है, इस बरगद पेड़ में नौ अलग-अलग प्रजातियों के पौधे उग आए हैं और यह विशाल बरगद का पेड़ लोगों की आश्चर्य और आस्था के साथ शोध का भी विषय बन गया है.. जब इस विशालकाय बरगद के पेड़ लोग देखते हैं तो आश्चर्यचकित हो जाते हैं, आश्चर्य इसलिए होता है क्योंकि इसकी टहनियों से नौ अलग-अलग प्रजाति के पौधे जिसमें चचान जुंडी, तेंदू, बड़ ,पीपल इमली, सिंदूर, माकड़ तेंदू और अमरबेल व आम के पौधे उग आए है और सभी विशाल बरगद के पेड़ में समाए हुए हैं,

पेड़ में अलग-अलग 9 प्रकार के पौधे मां दुर्गा के नौ रूप

इस पेड़ के नीचे मौजूद शीतला माता मंदिर के पुजारी बताते हैं कि इस पेड़ का धार्मिक महत्व भी है, इस पेड़ में खुद भगवान शिव, ब्रह्मा और विष्णु का निवास है, इसके अलावा इस पेड़ में अलग- अलग 9 प्रकार के पौधे मां दुर्गा के नौ रूप हैं, इस वजह से पूरे आसपास के और जिले के साथ-साथ पड़ोसी राज्य उड़ीसा के भी लोग इस पेड़ को सालों से पूजते आ रहे हैं, पुजारी का कहना है कि इस पेड़ से ग्रामीणों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है और इस जगह को देव स्थल के रूप में बरसों से स्थानीय आदिवासी पूजते आ रहे हैं,

प्रदेश का पहला ऐसा पेड़ जिसमें उग आए 9 पेड़

कृषि विज्ञान केंद्र के वनस्पति शास्त्र के प्रोफेसर अनंत कुमार बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में इस तरह का यह पहला पेड़ है जहां पेड़ के नीचे और ऊपर 9 प्रकार के पौधे उग आए हैं , यह पेड़ 250 साल से भी अधिक पुराना है और इसकी टहनियां आज भी काफी मजबूत हैं, प्रोफेसर का कहना है कि पेड़ में अन्य पौधों का निकल आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन यह एक शोध का विषय है क्योंकि बरगद पेड़ में 9 प्रजाति के अलग-अलग पौधे उगे हैं और वे भी औषधीय गुणों से युक्त हैं जो छत्तीसगढ़ में और कहीं नहीं दिखते हैं.. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह पेड़ आसपास के ग्रामीणों के लिए आस्था का केंद्र है और वन विभाग के लिए भी एक धरोहर है, इस वजह से इसे पूरी तरह से संरक्षित कर रखा गया है.















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