Raigarh News: केलो बांध सिंचाई परियोजना में बीजेपी-कांग्रेस राजनीति बंद करें – सिरिल कुमार

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बीजेपी को अपने कार्यकाल में किसानों का हित नहीं दिखा, ढोंग करना बंद करें
कांग्रेस जिनकी सरकार है, उन्हीं को विरोध करना पड़ रहा है, कांग्रेस का असली चेहरा उजागर

रायगढ़ टॉप न्यूज 21 मार्च 2023। आम आदमी पार्टी के रायगढ़ लोकसभा अध्यक्ष सिरिल कुमार ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को केलो बांध के सिंचाई परियोजना में किसान हित विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों किसान हितैषी होने का ढोंग करना बंद करें।











यह केलो बांध सिंचाई परियोजना 2008 में शुरू हुआ था, तो बीजेपी अपने कार्यकाल में क्या कर रही थी? भारतीय जनता पार्टी आज अपने आपको बहुत किसान हितैषी बता रही है, जबकि उन्हीं के सरकार ने नहर की ऊंचाई को 24 मी. से कम करके 12 मी. किया था। आज बीजेपी की निष्क्रियता के कारण ही यह केलो परियोजना जो 350 करोड़ की थी, जिसमें आज तक 1500 करोड़ खर्च हो चुके हैं और अभी तक पूरा नहीं हो पाया है।

लोकसभा अध्यक्ष सिरिल कुमार ने जानकारी साझा करते हुए बताया कि 2008 से शुरू हुए इस केलो बांध सिंचाई परियोजना, जिसकी लागत 350 करोड़ थी, जिसमें 80 हजार हेक्टेयर जमीन को पानी देने का प्रावधान था, अब तक तकरीबन 1500 करोड़ खर्च हो चुके हैं और अभी तक यह परियोजना तैयार नहीं हो पायी है, जबकि यह केलो बांध सिंचाई परियोजना 5 सालों में पूर्ण तैयार होकर 80 हजार हेक्टेयर में जमीन को सिंचित करती। ये परियोजना बीजेपी शासनकाल में शुरू की गई थी, जो अभी तक पूर्ण नहीं हो पाया है।

बीजेपी और कांग्रेस दोनों किसान हित विरोधी है। बीजेपी ने अपने कार्यकाल में इस परियोजना को पूर्ण कराने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी और आज वो किसानों के हितैषी बनने का ढोंग कर रहे हैं, जबकि कांग्रेस जिनकी वर्तमान में राज्य में सरकार है और उन्हीं को विरोध करना पड़ रहा है। बड़ी ही दुर्भाग्य की बात है।

अंत में सिरिल कुमार ने बताया कि जनवरी 2023 में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हो चुकी है, जिसमें इस परियोजना को पूर्ण कराने हेतु 600 करोड़ की मांग की गई है। हजारों-करोड़ों की राशि डकार लेने के बाद भी आज बीजेपी और कांग्रेस को शर्म नहीं आ रहा और वे बिचारे भोले-भाले किसानों को ठगने का काम कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी इस केलो बांध के सिंचाई परियोजना की उच्च स्तरीय जांच की मांग करती है और शासन-प्रशासन को आगाह भी करती है कि किसानों के हित में सभी फैसले लें, नहीं तो हम आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।















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