छत्तीसगढ के मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के बीच सोशल मीडिया पर पोस्ट वॉर छिड़ी हुई है। दोनों एक दूसरे के कार्यकाल को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल डॉ रमन सिंह के लिए ठाकुर साहब संबोधन के साथ पोस्ट लिख रहे हैं तो डॉक्टर रमन सिंह के ट्विटर पर दाऊजी लिखकर भूपेश बघेल के लिए पोस्ट की जा रही है।
छत्तीसगढ़ में हाल ही में नक्सल हिंसा में मारे गए भाजपा नेताओं की जांच का मामला, कांग्रेस सरकार द्वारा लिया गया कर्ज, डॉ रमन सिंह के ट्वीट पर है तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल डॉ रमन सिंह को ठाकुर साहब कहते हुए लिख रहे हैं कि छत्तीसगढ़ का बुरा हाल आपके लूट खसोट की वजह से था , उन्होंने डॉ रमन सिंह से यह भी पूछा है कि क्या उन्हें एनआईए पर भरोसा नहीं है।
CM भूपेश बघेल के शब्द
विश्व आदिवासी दिवस के दिन अपने आदिवासी अध्यक्ष को हटाने वाले, पूरे आदिवासी नेतृत्व को हाशिए पर धकेलने वाले छत्तीसगढ़ भाजपा के ‘सर्वे सर्वा’ – “ठाकुर साहब” बताइए कि आपके 15 वर्षों में अधिकारी फूल छाप थे क्या?
चार वर्ष में अधिकारी पंजा छाप कैसे हो गये? हम अच्छे से काम ले पा रहे हैं इसलिए आप उनको पंजा छाप बोल रहे हैं?
मानना चाहिए कि यदि आप अधिकारियों से काम नहीं ले पा रहे थे तो कमी आपके अंदर ही थी।
आपको आत्ममंथन की जरूरत है। वैसे भी भाजपा केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग से ही पॉलिटिक्स करती है, इसे पूरा देश देख रहा है।
आप अपनी पार्टी की चिंता कीजिए, फिलहाल भाजपा के पास आपके अलावा कोई चेहरा नहीं है। हालांकि पार्टी आपको चेहरा घोषित नहीं कर रही है।
ऐसा है ठाकुर साहब कि 15 वर्षों के आपके शासन के बाद जो राज्य आपने छोड़ा वह 39.9 प्रतिशत ग़रीबों के साथ देश का सबसे ग़रीब राज्य था।
यह आपकी लूट खसोट का परिणाम ही था।
गरीबों के हितों पर घड़ियाली आंसू बहाना कम से कम आपको तो शोभा नहीं देता।
और ये आँकड़े आरबीआई के हैं। अब क्या आप आरबीआई को भी ‘फूल छाप’ कह देंगे!!!
ठाकुर साहब याद कीजिए अपना कार्यकाल। तब किन अधिकारियों का राज था और आप किन हाथों की कठपुतली थे?
स्थानीय अधिकारी, जनप्रतिनिधि और गरीब जनता उपेक्षित और शोषित थी।
आप के इस अपराध के लिए राज्य की गरीब जनता आपको कभी माफ नहीं करेगी।
ये बाहरी लोग कौन से छाप के थे ये भी जनता को बता दीजिए ठाकुर साहब!
“ठाकुर साहब”! सवाल NIA की जांच पर नहीं, सवाल कथित नक्सली हत्या के षडयंत्र की जांच पर है।
षडयंत्र की जाँच हमारी पुलिस करती है तो NIA अपना क्षेत्राधिकार बताकर जाँच अपने हाथ में ले लेती है।
आयोग बनाते हैं तो धरमलाल कौशिक जी न्यायालय से स्टे ले आते हैं।
“ठाकुर साहब” को चाहिए कि NIA से यह लिखवा दें कि नक्सल हत्याओं के षडयंत्र की जाँच वे नहीं कर सकते बल्कि छत्तीसगढ़ की पुलिस करे तो सत्य सामने ला देगी।
पर यह तो बता दीजिए ठाकुर साहब कि क्या अब आपका NIA से विश्वास उठ गया है?
रमन सिंह ने लिखा
जनता को कितना गुमराह करोगे दाऊ जी, सवाल सिर्फ एक है कि यह दोहरा चरित्र क्यों?
अब कोई इस पोस्ट में “झीरम” शब्द ढूंढ कर दिखा दे, उस जांच पर तो पूरी स्वतंत्रता थी क्या नतीजा निकला?
5 साल होने को आए हैं, जेब से सबूत तो नहीं निकले लेकिन ED ने कांग्रेसी “करतूत” जरूर ढूंढ निकाली है।
55000 करोड़ का कर्ज लेकर कांग्रेसी सरकार ने तो छत्तीसगढ़ को इटली बनवा दिया है न?न सड़क बनीन स्कूल बनेन कहीं कोई विकास हुआतो फिर यह सारा पैसा लेकर जो छःग को कर्ज में लाद दिया है उसका कोई जवाब है आपके पास या वो भी 10 जनपथ छोड़ आए हो?
कोई एक नीति बना लो एक तरफ तो राहुल गांधी भारत जोड़ने का ढोंग करते हैं दूसरी तरफ दाऊ बाहरी-भीतरी के नाम पर खुलेआम समाज को बांट कर जहर फैला कर रहे हैं।