रायगढ़: एफआईआर के बाद पुलिस ने नहीं पकड़ा अनिल केडिय़ा को ! अग्रिम जमानत मिलते ही दोबारा शुरू की खुदाई, गोवर्धनपुर वासियों ने कलेक्टर से की सीमांकन की मांग

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रायगढ़। कॉलोनी बनाने के लिए श्मशान को जेसीबी से रौंदने वाले बिल्डर के सामने चक्रधर नगर पुलिस ने तो हथियार डाल दिए थे। अब राजस्व विभाग भी बेबस हो चुका है। इतना बड़ा कारनामा करने के बाद भी उक्त जमीन की जांच कर कार्रवाई नहीं की गई। श्मशान की जमीन पर कब्रों के ऊपर मकान बनाने की तैयारी फिर से शुरू हो गई है। गोवर्धनपुर निवासियों ने अब कलेक्टर से शिकायत की है।

यह कैसे नियम-कानून हैं जो सेठ-साहूकारों के आगे शिथिल हो जाते हैं। केवल गरीब और असहायों पर ही कानून का डंडा जोर से बरसता है। अनिल केडिया के प्रकरण में ऐसा ही हुआ है। गोवर्धनपुर में दो समाजों के कब्रिस्तान में जेसीबी चलाने के आरोप में गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी। मंगलवार को गोवर्धनपुर निवासियों ने कलेक्टर से शिकायत की है। उनका आरोप है कि चक्रधर नगर पुलिस ने जानबूझकर अनिल केडिया को गिरफ्तार नहीं किया। ताकि उसे अग्रिम जमानत लेने का समय मिल जाए। कॉलोनी निर्माण के लिए द्वारिका प्रसाद व अन्य की जमीन को समतल कर दिया गया है। कब्रों को भी तोड़ दिया गया। जमानत मिलने के बाद केडिया ने फिर से विवादित भूमि पर काम प्रारंभ कर दिया है। ग्रामीणों ने काम तत्काल बंद करवाते हुए पूरी जमीन का सीमांकन करने की मांग की है। उनका कहना है कि सरकारी जमीन पर भी कब्जा किया गया है।























आदिवासी महिला की जमीन भी वापस नहीं
राजस्व विभाग ने राजस्व मंडल के आदेश का भी पालन नहीं किया है। दरअसल विवादित भूमि के करीब खसरा क्रमांक 9/6 व खसरा क्रमांक 32/20 कुल रकबा 1.113 हे. भूमि एक आदिवासी महिला धनमती सिदार को शासन ने आवंटित की था। उक्त भूमि को एक गैरकानूनी आदेश के आधार पर दो गैर आदिवासी जमीन कारोबारियों ने क्रय कर लिया था। राजस्व मंडल में सांठगांठ कर आदिवासी जमीन खरीदने की अनुमति ले ली। 2010 में पारित इस आदेश को त्रुटिपूर्ण मानकर राजस्व मंडल ने पुनर्विलोकन में लेकर 2015 में निरस्त कर दिया। साथ ही भूमि को पुन: आदिवासी महिला को वापस करने का भी आदेश दिया था। लेकिन इस आदेश का भी पालन नहीं किया गया है।



































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