23 जनवरी झंडा दिवस पर विशेष…आलेख- मेजर जनरल (रि.) अशीम कोहली

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नई दिल्ली। हमारी पृथ्वी अब 8 अरब लोगों का घर है। दिलचस्प बात यह है कि इसमें सबसे बड़ा योगदान भारत का है जो इस साल चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। इस बीच विश्व आर्थिक मंच से एक बुरी खबर आई है कि इसी साल पूरी दुनिया में मंदी अपना पांव पसार लेगी। प्राइसवाटर कूपरमैन की रिपोर्ट के अनुसार अगला एक साल बेहद कठिन रहेगा। इसके मुख्य कारणों में चीन समेत अनेक देशों में कोविड-19 महामारी नियंत्रित न हो पाना और रूस-यूक्रेन युद्ध है। इस मंदी का असर भारत पर भी पड़ेगा। लगभग 140 करोड़ लोगों की रोजी-रोटी बचाने और विकास दर आगे बढ़ाने की चुनौती रहेगी तो देशवासियों की एकजुटता ही समाधान देगी, जो राष्ट्र के प्रति समर्पण एवं आपसी प्रेम और विश्वास से संभव है।  हमने देखा है कि पाकिस्तान के खिलाफ 1965, 1971 और करगिल युद्ध हो या संसद और मुंबई में आतंकवादी हमला, पूरा देश एकजुट हो गया। देशवासियों ने तब तिरंगा अपने हाथ में लेकर राष्ट्र की एकता और अखंडता अक्षुण्ण रखने की शपथ ली थी।

मैंने किताबों में पढ़ा है कि पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का 18 महीने का कार्यकाल चुनौतियों से भरा था। उस समय भोजन का भारी संकट था, चीन से शिकस्त के बाद भारत का मनोबल उठाने की चुनौती थी लेकिन अमेरिका के समर्थन से पाकिस्तान ने 1965 में भारत पर हमला बोल दिया। गरीबी के कारण भारत एक और युद्ध का सामना करने की स्थिति में नहीं था लेकिन शास्त्री जी के“जय जवान – जय किसान”नारे को देशवासियों ने पूर्ण समर्थन दिया, जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान बुरी तरह हार गया। यहां तक कि भारतीय सेना लाहौर में प्रवेश कर गई। शास्त्री जी ने कब्जा किये हुए क्षेत्र को लौटाने से मना कर दिया तब विश्व की दोनों महाशक्तियां अमेरिका और रूस ने मिलकर ताशकंद समझौते का फॉर्मूला निकाला।























शास्त्री जी के समय ही आर्थिक मोर्चे पर भी भारत को अलग ताकत मिली। हरित क्रांति के जनक डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन ने गेहूं उत्पादन और डॉ. वर्गीज कुरियन ने श्वेत क्रांति के बीज बोए। उनसे पहले मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने बांध, भवन और मूलभूत ढांचा निर्माण उद्योग को बढ़ावा देकर देश के विकास को स्थायी आधार दिया।
90 के दशक के बाद दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी का आगमन हुआ, आवासीय भवन निर्माण में तेजी आई, ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर देश बढ़ा और आज डिजिटल करेंसी के दौर में हम पहुंच गए हैं। भारत अब अक्षय ऊर्जा एवं बैटरी से चलने वाली गाड़ियों को मुख्यधारा में लाने के लिए गंभीर पहल कर रहा है।
समय, काल और परिस्थितियां किसी भी राष्ट्र के विकास के महत्वपूर्ण कारक हैं। कोविड-19 आने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की तेजी पर भी ब्रेक लगा लेकिन महामारी पर नियंत्रण के बाद भारत दुनिया की सबसे तेज बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था में शामिल हो गया। आज देश को एकजुट समर्थन की जरूरत है ताकि हमारे विकास की रफ्तार पर कोई ग्रहण न लगे। इसलिए अब हाथों में हाथ डालकर तिरंगे की प्रेरणा से राष्ट्रीय एकता को अपनी ढाल बनाने की आवश्यकता है। तिरंगा ही एकमात्र माध्यम है जो जाति, धर्म, क्षेत्र, भाषा, बोली और राजनीतिक प्रतिबद्धताओं से ऊपर उठकर एक-एक देशवासी को आपस में जोड़ता है। यही वजह है कि फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने देशवासियों को जोड़ने के लिए अपनी वेबसाइट के माध्यम से राष्ट्र के प्रति निष्ठा प्रदर्शित करने के लिए शपथ अभियान चला रखा है। हमारा प्रयास है कि प्रत्येक देशवासी यह समझें कि भारत सबसे पहले है और हमें इसे मजबूत बनाना है। हम चाहे जिस भी जगह पर हों और जो भी काम कर रहे हों, हमें अपने व्यक्तिगत दायित्व को राष्ट्र के प्रति दायित्वों से जोड़कर अपने सपनों के भारत का निर्माण करना है।

पिछले वर्ष देश के प्रति प्रेम का भाव जगाने के लिए आजादी का अमृत महोत्सव मनाया गया और अगले 25 साल अमृत काल के रूप में परिभाषित किये गए, जिसमें हमें भारत को अग्रणी राष्ट्र बनाना है। 23 जनवरी 2004 को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद देशवासियों को साल के 365 दिन पूरे सम्मान के साथ तिरंगा फहराने की जो आजादी मिली, वो राष्ट्र को मजबूत करने के एक दायित्व के रूप में मिली। मैं इसे शुभ संकेत मानता हूं कि हमारा तिरंगा आज सार्वजनिक अभिव्यक्ति का श्रेष्ठ माध्यम बन गया है।

हमारा देश विविधताओं में एकता का देश है तो इस एकता के पीछे हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है। देशवासियों से मेरी अपील है कि तिरंगे में निहित देशभक्ति की भावना को घर-घर पहुंचाने के लिए फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने राष्ट्र के प्रति समर्पण की शपथ का जो अभियान चलाया है, वे उसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। देश को आजादी दिलाने वाले महान स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति यह एक सच्ची श्रद्धांजलि और देश को विकास पथ पर अग्रसर करने वाले महान वैज्ञानिकों, समाज सेवियों, नीति निर्माताओं के योगदान के प्रति आभार होगा। हम 74वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं तो आइये हम शपथ लें देश के लिए, अपने राष्ट्रीय ध्वज के लिए।

जय हिन्द
(लेखक फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी हैं)



































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